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राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने हिंसा के खिलाफ आवाज बुलंद की - Sabguru News
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राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने हिंसा के खिलाफ आवाज बुलंद की

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राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने हिंसा के खिलाफ आवाज बुलंद की
President Pranab Mukherjee raise voice against mob violence
President Pranab Mukherjee raise voice against mob violence
President Pranab Mukherjee raise voice against mob violence

नई दिल्ली। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने हिंसा की हाल की घटनाओं के खिलाफ आवाज उठाते हुए शनिवार को प्रशासन से पूछा कि क्या हम अपने देश के बुनियादी सिद्धांतों की रक्षा के लिए सक्रिय रूप से पर्याप्त सतर्क हैं।

उन्होंने यह भी कहा कि नागरिकों, बुद्धिजीवियों और मीडिया की सतर्कता अंधी और प्रतिगामी ताकतों के खिलाफ सबसे बड़े प्रतिरोध के रूप में काम कर सकती है।

कांग्रेस पार्टी के मुखपत्र नेशनल हेराल्ड के स्मारक प्रकाशन को लांच करते हुए मुखर्जी ने पत्रकारों को यह भी याद दिलाया कि उनका काम कभी खत्म नहीं होगा और उनका उद्देश्य सर्वप्रथम आजादी, आज आजादी, हमेशा आजादी होनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि हमें सोचना होगा, रुकना होगा और विचार करना होगा। हम जब अखबार में पढ़ते हैं या टेलीविजन में देखते हैं कि किसी व्यक्ति की हत्या किसी कानून के कथित उल्लंघन के लिए की जा रही है या नहीं, जब भीड़ इतनी पागल और अनियंत्रित हो जाए, तो हमें रुकें और विचार करें।

राष्ट्रपति ने कहा कि क्या हम पर्याप्त रूप से सतर्क हैं? मैं अतिसतर्कता की बात नहीं कर रहा, मैं यह कह रहा हूं कि क्या हम देश के बुनियादी सिद्धांतों की रक्षा के लिए पर्याप्त रूप से सतर्क हैं? हम इसे दरकिनार नहीं कर सकते। भावी पीढ़ी हमसे जवाब मांगेगी कि आपने क्या किया है।

मुखर्जी ने कहा कि आज मैं यह नहीं कह रहा कि कोई पुराने तरह के उपनिवेशवाद की वापसी की कोई चिंता है। लेकिन उपनिवेशवाद ने इतिहास में बदलाव, शोषणा, एक सत्ता से दूसरी सत्ता के प्रभुत्व के साथ हमेशा अपना अलग रूप अख्तियार किया है।

राष्ट्रपति ने पत्रकारों को याद दिलाते हुए कहा कि मैं मीडियाकर्मियों से अपील करना चाहूंगा कि आप का कर्तव्य, आपका काम कभी खत्म नहीं होना है, और इसका अंत कभी नहीं होगा। आपके कारण लोकतंत्र जिंदा है, लोगों के अधिकार संरक्षित हैं, मानव मर्यादा बची हुई है, गुलामी समाप्त हुई है।

आपको सतर्क बने रहना होगा.. मुझे दुख है कि मैं इस शब्द का बार-बार इस्तेमाल कर रहा हूं, लेकिन मुझे इसके अलावा और कोई शब्द नहीं मिल रहा।

उन्होंने कहा कि क्योंकि मैं मानता हूं कि नागरिकों की सतर्कता, बुद्धिजीवियों की सतर्कता, अखबारों की सतर्कता और मीडिया की सतर्कता अंधी और प्रतिगामी ताकतों के खिलाफ सबसे बड़े प्रतिरोध के रूप में काम कर सकती है।