नई दिल्ली। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के पी. राजीव ने श्रमजीवी पत्रकारों के लिए गठित मजीठिया वेतनबोर्ड की सिफारिशों को कई संस्थानों द्वारा लागू न किए जाने का मुद्दा मंगलवार को राज्यसभा में उठाया।
राजीव ने राज्यसभा में शून्यकाल के दौरान यह मुद्दा उठाते हुए पत्रकारों की दयनीय हालत पर गहरी चिन्ता भी व्यक्त की और सरकार से इसमें हस्तक्षेप करने की मांग की। उन्होंने कहा कि मजीठिया वेतन बोर्ड ने पत्रकारों के वेतन में वृद्धि के लिए 2008 में अंतरिम राहत दी थी और 2011 में अपनी सिफारिश भी दी।
2012 में सुप्रीमकोर्ट ने अखबार मालिकों की याचिका को खारिज कर पत्रकारों के लिए वेतनबोर्ड को लागू करने का निर्णय दिया। इसके बाद कुछ संस्थानों में प्रबंधन ने वेतनबोर्ड को लागू किया पर कई संस्थानों ने आज तक लागू नहीं किया।
उन्होंने कहा कि पत्रकारों की हालत बहुत दयनीय है। कई चैनलों में तो पांच- छह हजार रूपए में पत्रकार काम कर रहे हैं। उन्होंने सरकार से इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की।