नई दिल्ली। अभिनेता टाइगर श्रॉफ का कहना है कि उनके पिता जैकी श्रॉफ का मुंबई के चॉल से लेकर स्टारडम तक का सफर न सिर्फ उन्हें प्रेरित करता है, बल्कि जमीन से जुड़े रहना भी सिखाता है। हालांकि उनका मानना है कि वह कभी भी अपने पिता की तरह ‘बिंदास’ नहीं बन सकते।
टाइगर ने बताया कि मेरे पिता बचपन से ही मेरी देखभाल करते आ रहे हैं। उन्होंने मुझे बेहद खुशनुमा बचपन दिया। मैं जानता हूं कि वह किस पृष्ठभूमि से आए हैं। मेरे पिता तीन बत्ती इलाके में एक चॉल में रहा करते थे। उन्हें वहां से यहां का सफर तय करते देखना मुझे कड़ी मेहनत करने और अपने परिवार के लिए शानदार काम करने को प्रेरित करता है।
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टाइगर ने पिता से पेशेवराना सलाह लिए जाने के बारे में पूछने पर कहा कि नहीं, मैं उनसे अपने करियर को लेकर सलाह नहीं करता, क्योंकि काम करने की उनकी और मेरी शैली अलग-अलग है। वह सबकुछ ‘बिंदास’ तरीके से करते हैं और मैं उनकी तरह ‘बिंदास’ नहीं बन सकता।
कॉरपोरेट सामाजिक जवाबदेही कार्यक्रम पी एंड जी शिक्षा के तहत पिछले सप्ताह ‘शिक्षा सुपरहीरोज’ अभियान के लिए हाथ मिलाने वाले टाइगर ने बताया कि उनके पिता का संघर्ष उन्हें वास्तविकताओं से परिचित कराता है और उन्हें जमीन से जोड़े रखता है।
जैकी ने 1982 में फिल्म ‘स्वामी दादा’ से अभिनय की दुनिया में कदम रखा था, वहीं उनके बेटे टाइगर ने 2014 में फिल्म ‘हीरोपंती’ से आगाज किया।
टाइगर की झोली में फिलहाल हॉलीवुड फिल्म ‘रैम्बो’ की रीमेक और ‘मुन्ना माइकल’, ‘स्टूडेंट ऑफ द ईयर-2’ व ‘बागी-2’ जैसी फिल्में हैं।
अभिनेता ने भारत में हॉलीवुड फिल्मों की रीमेक बनाए जाने के बारे में कहा, “मुझे लगता है कि यह चलन बहुत अच्छा है। हॉलीवुड फिल्में शानदार होती हैं। ऐसी कई फिल्में हैं, जिन्हें मैंने बार-बार देखा है। फिर ये फिल्में दोबारा क्यों नहीं बन सकतीं? हम शायद उसे पूरी तरह से वैसे ही प्रारूप में नहीं बना सकें, लेकिन कम से कम उस कहानी का सार तो ले सकते हैं और इसका थोड़ा भारतीयकरण कर सकते हैं।”
खुद से लोगों को बढ़ती उम्मीदों को लेकर टाइगर ज्यादा चिंतित नहीं हैं। वह इसे एक सकारात्मक दबाव मानते हैं।
टाइगर (27) के मुताबिक दबाव तो है, लेकिन यह एक सकारात्मक दबाव है.. कुछ ऐसा जो आपको कड़ी मेहनत करने के लिए प्रोत्साहित करता है। यह मुझे और ज्यादा अच्छा से अच्छा काम करने तथा अपने दर्शकों को और ज्यादा उम्दा फिल्में देने के लिए प्रेरित करता है।