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if govt and officers dont compliance properly on pil,we wil go to court:lodha
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हाईकोर्ट ने दिए 206 बिंदु, कलक्टर कर रहे हैं एक पर कार्रवाई: लोढा

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हाईकोर्ट ने दिए 206 बिंदु, कलक्टर कर रहे हैं एक पर कार्रवाई: लोढा
pc by sanyam lodha in sirohi
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सिरोही। राजस्थान हाईकोर्ट में गुलाब कोठारी, करौली निवासी कमलेश मीणा, जयपुर निवासी पूनमचंद भंडारी, जयपुर की लोक संपर्क संरक्षण समिति के सचिव पीएन मंडोला, जयपुर निवासी वीएन शर्मा की जनहित याचिकाओं पर राजस्थान हाईकोर्ट जोधपुर की ओर से बदहाल नगर विकास व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने के लिए दिए गए आदेशों की पालना मात्र औपचारिकता पूर्ण ही हो रही है।

इसे लेकर सिरोही के पूर्व विधायक ने प्रेस काॅन्फ्रेेंस आयोजित करके बताया कि राजस्थान हाईकोर्ट ने 257 पेज के अपने ऐतिहासिक निर्णय में 206 बिंदुओं पर कार्रवाई करने का आदेश दिया था, जबकि राज्य सरकार, जिला कलक्टर और नगर निकायों के अधिकारी मात्र एक बिंदु पर ही कार्रवाई कर रहे हैं। रईसों को छोडकर गरीबों के रोजगार निशाना साध रहे हैं।

पूर्व विधायक संयम लोढा ने कहा कि सिरोही जिले की ही बात करें तो मास्टर प्लान 2011 एवम् 2031 के विपरित किए गए कार्यों में हाईकोर्ट के आदेशों की गलत क्रियान्विति कर अफसरों के भ्रष्टाचार पर पर्दा डालने का काम किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार के चलते बनने दी गई अवैध इमारतो एवं पट्टों का सिरोही जिले की किसी नगर पालिका के एक्शन प्लान में जिक्र तक नहीं है। मास्टर प्लान 2011 में प्रस्तावित हरीत पट्टी को अफसरों के भ्रष्टाचार ने पूरी तरह नष्ट कर दिया है।

वर्ष 2009 के नगरपालिका अधिनियम के पश्चात बहुमंजिला इमारतांे का निर्माण बिना पार्किंग सम्भव ही नहीं है और यदि किया भी गया है तो स्थानीय निकाय की ओर से पूर्णता प्रमाण पत्र जारी नहीं किया जा सकता। लोढा ने कहा कि इस ऐतिहासिक फैसले के जरिये आम जनता के हित में काम करने की बजाय अंधाधुन्ध तरीके से गरीबों के यहां तोड फोड की जा रही है।

सिरोही जिले में नगरपालिकाओ के द्वारा इस फैसले की क्रियान्विति के संबंध में बनाए गए एक्शन प्लान में दुकानदार द्वारा छाया के लिए लगाये गए अस्थाई शेड पर्दे एवम् सीढियों को हटाने का प्लान है। अस्थाई केबिनों को हटाकर लोगों की रोजी रोटी छीनी जा रही है।

लोढा ने कहा कि हाईकोर्ट के 257 के पेज के फैसले में 206 बिन्दुओं की गई विवेचना एवं दिशा निर्देशों में से सिर्फ 1 बिन्दु संख्या 146 पर काम करके राज्य सरकार जिला प्रशासन स्थानीय निकाय अपने कर्तव्य की इतिश्री करना चाहता है।

लोढा ने आरोप लगाया कि राजमार्गो एवं बाईपास पर नागरिकों के मार्गोधिकार के पश्चात गहन वृक्षारोपण के लिए भूमि प्रावधान के संबंध में कोई पहल जिला प्रशासन के द्वारा नहीं की गई है। इसी तरह वाणिज्यिक इकाईयों में प्रवेश के रास्तों को लेकर किसी तरह की चर्चा नहीं है।

लोढा ने कहा कि आवासीय क्षेत्र में बहुमंजिला इमारतों के निर्माण को लेकर फैसला आने के 6 माह गुजर जाने के बाद भी कोई सर्वे तैयार नहीं किया गया है। कृषि भूमि पर बहुमंजिला वाणिज्यक भवन वर्ष 2017 में बनाए गए जिनकी शिकायत की अर्जिया भी नागरिकों ने दी लेकिन भ्रष्टाचार की आंधी में सब उड गई।

बगैर वरिष्ठ नगर नियोजक की अनुमति के कृषि भूमि पर काटे गए भूखण्डो के पैसे खाकर मास्टर प्लान के विपरित पट्टे बनाए गए हैं। जिनका एक्शन प्लान में कोई जिक्र नहीं है, शहरी आवासीय क्षेत्र में कार्यरत औद्योगिक इकाईयों के संबंध में किसी तरह का विचार नहीं किया गया है। इनके आवासीय रूपान्तरण प्रस्तावित किए जाने चाहिए खास तौर पर नगरपालिका क्षेत्र में।

लोढा ने कहा कि हाईकोर्ट ने व्यवसायिक इमारतों में पार्किंग क्षेत्र बहाल करने के निर्देश दिए, जिनका निर्माण नगरपालिका अधिनियम 2009 के लागू होने के बाद किया गया है। मास्टर प्लान के विपरित किए गए अवैध निर्माणो के गलत नियमन के संबंध में उक्त जन याचिका में दिशा निर्देश दिए गए हैं। जिनकी कोई पालना नहीं की गई है।

इसी तरह चारागाह भूमि, नदी, तालाब, झील के संबंध में दिए गए विस्तृत आदेशों को लेकर कोई एक्शन प्लान तैयार नहीं किया गया है। लोढा ने मांग की कि राजस्थान उच्च न्यायालय के उक्त ऐतिहासिक फैसले का लाभ आम जनता को मिले इसके लिए मास्टर प्लान 2011 एवं 2031 का पूरा अध्ययन कर एवम सभी नगरों का मास्टर प्लान के मुताबिक सर्वे कर गत 6 माह में विस्तृत कार्य योजना तैयार की जानी थी, लेकिन प्रशासन ने कुछ नही किया।

लोढा ने आनन फानन में की जा रही तोड फोड की कार्यवाही को जनविरोधी और उच्च न्यायालय के निर्णय के विपरित बताया, लोढा ने मांग की कि उक्त न्यायालय के निर्णय की क्रियान्वित के लिये विस्तृत कार्ययोजना तैयार होने तक लोगों के रोजगार छिनने एवं छाया के लिए की गई अस्थाई व्यवस्था तोडने फोडने पर रोक लगाई जाए।

लोढा ने उक्त ऐतिहासिक फैसले से आम जनता को लाभान्वित करने के लिए प्रत्येक शहर में विस्तृत कार्ययोजना नहीं बनाई गई तो उच्च न्यायालय के आदेशों की पालना न करने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ उच्च न्यायालय में शपथ पत्र प्रस्तुत किया जाएगा।