मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंकों के लिए पूर्व में जारी आदेश में संशोधन किया है, जिसके तहत उन 12 कंपनियों के खिलाफ दिवालियेपन की कार्यवाही शुरू करने को कहा गया था, जिन पर मार्च, 2016 तक 5,000 करोड़ रुपए का कर्ज बकाया है।
यह संशोधन शनिवार देर शाम एक अधिसूचना के जरिए किया गया। इससे पहले गुजरात उच्च न्यायालय ने आरबीआई से अपने पिछले महीने के आदेश पर लगी शर्त हटाने को कहा था। इस शर्त के तहत नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल में 12 गैर निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए), यानी डूबे हुए कर्ज को प्राथमिकता दी जाएगी।
आरबीआई की ओर से जारी विज्ञप्ति के मुताबिक 13 जून, 2017 को जारी प्रेस विज्ञप्ति के पैराग्राफ नंबर 5 की तीसरी पंक्ति को हटाया जाता है, जिसमें आरबीआई ने दिवालियापन और दिवालियेपन संहिता (आईबीसी) के तहत संदर्भ के लिए खातों की पहचान की है। इस तरह के मामलों को नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) द्वारा प्राथमिकता दी जाएगी।
आरबीआई द्वारा चिह्न्ति की गई 12 बड़ी एनपीए में से एक एस्सार स्टील ने गुजरात उच्च न्यायालय का रुख कर आरबीआई की इस कार्रवाई पर रोक लगाने की मांग की थी। कंपनी ने इस कदम को मनमाना बताया था।
अदालत ने एस्सार की निष्क्रिय इकाई के खिलाफ 12 जुलाई तक दिवालियापन की कार्यवाही करते हुए आरबीआई से अपने आदेश में संशोधन करने को कहा था। इस आदेश में एनसीएलटी को इन चिह्न्ति मामलों को प्राथमिकता देने की बात थी।
आरबीआई ने जून में दिवालियापन की कार्यवाही के लिए बैंकिंग प्रणाली के एनपीए में से कुल 25 फीसदी वाले 12 खातों की पहचान की थी।