कोलकाता। नोबल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन का मानना है कि राष्ट्रीय स्तर पर विपक्षी पार्टियां राष्ट्रपति चुनाव को उस तरीके से नहीं संभाल पा रही हैं, जिस तरह से उन्हें संभालना चाहिए।
सेन ने फिल्म निर्देशक सुमन घोष द्वारा उनके जीवन पर निर्मित वृत्तचित्र की स्क्रीनिंग के मौके पर कहा कि मुझे लगता है कि प्रमुख विपक्षी दल आगामी राष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रियाओं को उस तरीकों से निपटने में असफल रहे हैं, जिस तरीके से उसे करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी के विरोधियों ने राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के चुनाव के दौरान अपने सिद्धांतों के स्थान पर रणनीतियों का सहारा लिया है।
उन्होंने कहा कि राजनीति अक्सर धारणाओं पर निर्भर करती है। अक्सर देश में हम देखते हैं कि सिद्धांतों की तुलना में रणनीति को अधिक महत्व दिया जाता है। हालांकि यह सही तरीका नहीं है।
सेन के अनुसार पहले विपक्षी दल इसका इंतजार करते रहे कि सत्तारूढ़ दल किस उम्मीदवार को खड़ा करता है और फिर वह अपने उम्मीदवार को तय करेंगे। इसके बाद जब भाजपा ने एक दलित उम्मीदवार खड़ा किया तो उन्होंने भी ऐसा ही किया। अगर भाजपा अधिक बौद्धिक उम्मीदवार का चुनाव करती तो वह गोपालकृष्ण गांधी जैसे किसी शख्स का चुनाव करते।
राष्ट्रपति चुनाव 17 जुलाई को होने वाले हैं। भाजपा की अगुवाई वाली राजग सरकार ने बिहार के पूर्व राज्यपाल रामनाथ कोविंद को अपना उम्मीदवार बनाया है जबकि कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्ष ने पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार को मैदान में उतारा। यह दोनों ही दलित हैं।