कोलकाता। नोबेल पुरस्कार से सम्मानित प्रख्यात अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन के जीवन पर बने वृत्तचित्र में सेंसर बोर्ड ने कई कट लगाने के लिए कहा है।
सेंसर बोर्ड ने सुमन घोष द्वारा निर्देशित फिल्म ‘एन आर्गुमेंटेटिव इंडियन’ में ‘गाय’, ‘गुजरात’, ‘हिंदू’ और ‘हिंदुत्व’ जैसे शब्दों पर आपत्ति जताई है, जिसका इस्तेमाल अमर्त्य सेन ने वृत्तचित्र में अपने साक्षात्कार के दौरान किया है।
सेंसर बोर्ड ने घोष से इन शब्दों को हटाने के लिए कहा है और सेंसर बोर्ड का कहना है कि ‘इन शब्दों के इस्तेमाल से देश की छवि खराब होगी’।
घोष ने कहा कि उनका कहना है कि फिल्म में सेन द्वारा गुजरात दंगों पर की गई टिप्पणी से ये शब्द हटा दिए जाएं। वे ‘गाय’ शब्द भी हटाना चाहते हैं और उसकी जगह बीप का इस्तेमाल करने को कह रहे हैं। बेहद हास्यास्पद है यह।
उन्होंने कहा कि वे अमर्त्य सेन द्वारा साक्षात्कार के दौरान इस्तेमाल किए ‘हिंदू भारत’ और ‘हिंदुत्व’ शब्दों को भी हटवाना चाहते हैं। अजीब बकवास है यह। सेंसर बोर्ड की प्रतिक्रिया पर घोष ने हैरानी जताई है।
घोष ने कहा कि हमें पता है कि देश में क्या हो रहा है। ‘उड़ता पंजाब’, ‘लिपस्टिक अंडर माई बुर्का’ जैसी फिल्मों पर विवाद हो रहा है। लेकिन मैंने इस बात की कल्पना भी नहीं की थी कि बिना किसी पटकथा के तैयार वृत्तचित्र के साथ भी वैसा ही बर्ताव किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि सबसे बड़ी बात यह है कि जब अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त इतनी बड़ी शख्सियत द्वारा कहे गए शब्दों को हटाया जा रहा है, तो इससे यही प्रतीत होता है कि चीजें किस हद तक पहुंच चुकी हैं। इस तरह का सीधे-सीधे गवाह बनने के बाद मैं सिर्फ इतना ही कह सकता हूं, मैं हैरान हूं।
करीब एक घंटे लंबे इस वृत्तचित्र में अमर्त्य सेन को अपने विद्यार्थियों और कोर्नेल विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्री के प्राध्यापक कौशिक बसु के साथ बेतकल्लुफी से बातचीत करते फिल्माया गया है।
इस फिल्म की न्यूयार्क और लंदन में पहले ही स्क्रीनिंग हो चुकी है। कोलकाता में भी सोमवार को फिल्म की खास स्क्रीनिंग की गई। अमर्त्य सेन पर बने इस वृत्तचित्र को इसी शुक्रवार को सिनेमाघरों में रिलीज किया जाना था।