प्रेमी -प्रेमिका ने जब एक दूसरे को विवाह का वचन दे दिया |
प्रेमिका- परन्तु प्रिय , में एक बात मैं पहले साफ कर दूं -मुझे खाना पकाना नहीं आता |
प्रेमी- कोई बात नहीं प्रिय , मैं भी पहले ही साफ किये देता हूं , मैं कवि हूं , मेरे घर में पकाने के लिए कुछ है ही नहीं |
राजेश- आपने सुंदर और इतनी बडी कविता कम समय में कैसे तेयार की है |
दिनेश- मेरी पत्नी रोज मुझसे लड्ती है और रोज मुझे नए-नए शब्द सुनने को मिलते है |
बेटा- पिताजी आपका चश्मा क्या चीज को बढाकर दिखाता हैं ?
पिता- हां ,बेटा |
बेटा — एक काम करना पिताजी , जब भी आप मुझे खाने के लिए केक देवे तब चश्मे को उतार कर देना |
पण्डित जी -तुम्हरा विवाह एक पियक्कड से होगा और विवाह के पश्चात कुछ वर्षों तक तुम बहुत दुखी रहोगी |
गीता – परन्तु पण्डित जी उसके बाद क्या होगा ?
पण्डित जी- उसके बाद तुम्हें दुख सहने की आदत पड जाएगी |
डॉक्टर – श्रीमान आपकी पत्नी का टॉन्सिल्स का ऑपरेशन तो आप बचपन में ही करा लेते ना |
रोगी महिला -डॉक्टर तब हमारी शादी नही हुई थी |
महिला का पति – डॉक्टर साहब मेने पैसे का बिल तो ससुर जी के पास भेज दिया है |
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