परीक्षित मिश्रा
सिरोही/ ब्यावर। नेशनल हाइवे संख्या 14 पर ब्यावर से पिण्डवाडा के बीच में बाहरी घाटा सबसे ज्यादा जानलेवा सेक्शन था, लेकिन 2600 करोड रुपये खर्च करने के बाद भी ब्यावर से पिण्डवाडा के बीच बने फोरलेन पर करीब ऐसे 19 प्वाइंट हैं, जिन्हे दुरुस्त किये बिना यातायात के लिये खोलने से यहा पर होने वाले हादसे और उनमें होने वाली मौतें आने वाले समय में दिल हिला देंगी।
विभागीय सूत्रों की मानें तो ये कोई गाॅसिप नहीं बल्कि वो एनएचएआई के सेफटी कंसल्टेंट की वो रिपोर्ट है जो नेशनल हाइवे आॅथोरिटी आॅफ इंडिया को भेजी गई है। ठेकेदार कम्पनी को इस बात की जल्दबाजी है कि वह एक अप्रेल से इस हाइवे को शुरू करके पैसा उगाहना शुरू कर दे, लेकिन उन खामियों को दूर करने को लेकर उसकी कोई तैयारी नहीं है जो इस हाइवे पर सिर्फ मौत बांटेगी।
फिलहाल ब्यावर से बर के बीच का किलोमीटर 5 से 15 तथा सिरोही शहर से सटा सिरणवा पहाडियों में पडने वाले किलोमीटर 219 से किलोमीटर 224.500 तक के 18 प्वाइंट के अलावा सेंदडा और बर के बीच बनी राजस्थान की सबसे उंची पुलिया में पाई गई कमियां इस हाइवे को शुरू करने की सबसे बडी बाधा है। इसी कारण इन सेक्शन को छोडकर शेष सुरक्षित स्थानो पर इस नवनिर्मित फोरलेन पर यातायात शुरू हो चुका है। ऐसे में निरीक्षण के नाम पर राजनीति चमकाने के लिए इस हाइवे को शुरू करने पैरवी करने वाले नेता जनहित से ज्यादा जन अहित करने और निर्माता एजेंसी की पैरवी करते ज्यादा नजर आ रहे हैं।
मौत का सेक्शन
नेशनल हाइवे संख्या 63 यानी, पिण्डवाडा से पाली तक का फोरलेन का हिस्सा। सोचिए, अस्सी से डेढ सौ किलोमीटर प्रतिघंटे की रफतार से दौडते वाहन के आगे एकदम टनों वजनी पत्थर आकर गिरेगा तो क्या होगा। कोई चालक इस तरह की घटना से होने वाले हादसे की कल्पना आसानी से कर सकता है। गाडी और उसमें बैठे लोगों की पहचान तक करना मुश्किल होगी।
किलोमीटर 219 से किलोमीटर 224.500 तक सिरोही में बनी टनल के दोनों तरफ ऐसे 15 सैक्शन कंसल्टिंग ऐजेंसी ने चिन्हित किये हैं, जो खौफनाक हादसे और दर्दनाक मौत देंगी। इन 15 स्थानों पर चट्टानें एकदम ढीली हैं और हर एक ब्लाॅक टनों वजनी है।
चट्टानों की कटाई में राॅक इंजीनियरिंग के तथ्यों को बिल्कुल नजरअंदाज किया है, जिससे भारी वाहनों के कम्पन्न से यह नीचे गिरेंगे। यही कारण है कि इस फोरलेन पर सिरणवा पहाडी के इस सेक्शन में सारणेश्वर से बाहरी घाटे के बीच में यातायात शुरू नहीं किया गया है। सूत्रों की मानें तो इस सेक्शन के बनते समय आंखें मूंदने वाले कुछ इंजीनियरों पर गाज भी गिरी है।
खतरनाक बना सेंदडा-बर सेक्शन
ब्यावर से करीब पांच किलोमीटर दूरी पर सेंदडा से बर के बीच का पहाडी हिस्सा भी इस मार्ग पर एक्सीडेटल जोन था। फोरलेन बनाने के लिए इस सेक्शन में भी पहाडी काटी गई और गैर वैज्ञानिक तरीके से की गई कटाई और कमाने की जल्दबाजी में इस सैक्शन में भी तीन ऐसे प्वाइंट छोड दिये हैं, जो चट्टानों के गिरने से मौत बांटेंगे।
सेफ्टी कंसल्टिंग एजेंसी के इन हिस्सों की चट्टानों को सही एंगल में काटने तक यातायात शुरू नहीं करने की रिपोर्ट ने फोरलेन निर्माणकर्ता एजेंसी के लिए समस्या खडी कर दी है।
ओवरब्रिज के तीन पिलर संदिग्ध
सूत्रों की मानें तो कंसल्टिंग एजेंसी ने सेंदडा के पास रेलवे लाइन पर बने ओवरब्रिज के तीन पिलरों को भी संदिग्ध बताया हैं। सूत्रों के अनुसार इनमें से एक में दरार आई है तो दो में कंक्रीट के ग्रेड में गडबड है। पिलर नम्बर 71 से 75 के बीच के किसी एक पिलर में दरार है, वहीं पिलर नम्बर 61 से 65 के बीच के दो पिलर में 40 एमएम से कम मोटाई की है, जिससे यह पिलर यातायात दबाव पडने पर नुकसानदायी हो सकते हैं।
प्राकृतिक नहीं सिर्फ समझौता
एनएचएआई की ठेकेदार कम्पनी इस टनल को प्राकृतिक बता रही है, लेकिन यह प्राकृतिक नहीं एक ऐसी होशियारी को नतीजा है जो ठेकेदार कम्पनी को करोडो रुपया बचा गई। 2006 में इंडियन रोड कान्ग्रेस ने टनल कोड तैयार करवाया। सूत्रों की मानें तो यह कोड किसी सरकारी एजेंसी की बजाय ठेकेदारों से ही तैयार करवाया। इसमें यह प्रावधान किया गया कि तीन सौ मीटर लम्बाई की टनल में न तो अंदर सीमेंट की लेयर की जाएगी और न ही इसमें लाइटें लगाई जाएंगी। इसी क्लाॅज ने सिरोही की टनल के आंतरिक हिस्से में सीमेंट की लेयर नहीं लगने दी और न ही लाइटों की व्यवस्था हुई।
क्यों होगा जानलेवा
सूत्रों के अनुसार कंसल्टिंग कम्पनी के तकनीशियनों ने राॅक डिजायन और उनकी लेयर पेटर्न के अनुसार पूरा डिजायन बनाकर अपनी रिपोर्ट पेश की है। जिसमें बताया गया है कि यह चट्टाने इस तरह से कटी हैं कि जब यातायात शुरू होने पर भारी और रफ्तार से चल रहे वाहनों को कम्पन्न होगा तो सालभर के अंदर ही यह हाइवे पर गिरकर कई मौतों का कारण बनेगी। इसी तरह यह कम्पन्न ओवरब्रिज के पिलर्स के लिए भी घातक हो सकता है। इसीलिए इन कमियों को दूर किये बिना इसे शुरू नहीं किया जा सकता।
इनका कहना हे…
बाहरी घाटा सेक्शन की चट्टानों को सही नहीं किया जा सका है। आप सही कह रहे हैं कि सेफ्टी कंसल्टेंट ने दुर्घटना का कारण बन सकने वाले बिंदुओं की रिपोर्ट भेजी है, इस रिपोर्ट के अनुसार हर प्वाइंट और मोड को दुर्घटनारहित नहीं बनाने तक यातायात शुरू नहीं किया जा सकता। सेफ्टी कंसल्टेंट के क्लीयरेंस के बिना हमारे बस में भी नहीं है कि इस मार्ग पर यातायात शुरू कर देवें।
अशोक पारीख
पीडी, एनएचएआई, पाली।