अजमेर। केन्द्रीय कारागृह में पिछले दस माह से नाबालिग से बलात्कार के मामले में बंद बंदी के साथ जेल अधीक्षक व प्रहरियों द्वारा गुरुवार सुबह मारपीट किए जाने का मामला सामने आया है।
बंदी के परिजन ने जेल अधीक्षक पर घायल बंदी को उपचार के लिए जवाहर लाल नेहरू अस्पताल में नहीं भेजने व मामले को दबाने का भी आरोप लगाया है। सेन्ट्रल जेल में बंद सूरजपुरा, खरवा ब्यावर निवासी शकुरूद्दीन पुत्र छोटू के परिजन ने बताया कि गुरुवार सुबह करीब दस बजे जेल अधीक्षक वासुदेव ने जेल प्रहरियों के साथ मिलकर शकुरूद्दीन के साथ मारपीट कर दी।
मारपीट की घटना में शकुरूद्दीन के सिर पर डंडा लगने से उसके सिर में गंभीर चोट पहुंची और शकुरूद्दीन लहूलुहान हो गया। इस बात का पता जब परिजन को चला तो वे जेल पहुंच गए और घायल शकुरूद्दीन को उपचार के लिए जवाहर लाल नेहरू अस्पताल पहुंचाने की मांग करने लगे।
बंदी शकुरूद्दीन के वकील रविन्द्र सिंह ने राठौड़ ने बताया कि उनके मुवक्किल ने दो दिन पहले अदालत की तारीख पेशी के दौरान एक हलफनामा सैशन कोर्ट के जिला जज के समक्ष पेश किया था। जिसमें उसने बताया था कि जेल में उसे समय पर खाना नहीं दिया जाता है और खाना भी घटिया दिया जाता है।
इसके अलावा उससे रुपयों की मांग भी की जाती है। रुपए नहीं देने पर उसके साथ ही मारपीट व जलील किए जाने की हरकतें जेल प्रशासन द्वारा की जाती है। बताया जा रहा है कि बंदी की शिकायत पर पर जिला जज ने गंभीरता से विचार करके जेल प्रशासन को नोटिस जारी किया था, जिससे क्षुब्ध होकर जेल अधीक्षक वासुदेव ने बंदी के साथ मारपीट कर दी।
वहीं दूसरी ओर जेल अधीक्षक वासुदेव से जब उनका पक्ष जाना गया तो उन्होंने बंदी शकुरूद्दीन द्वारा लगाये जा रहे मारपीट के आरोपों को निराधार बताया और कहा कि शकुरूद्दीन ने गुरुवार सुबह अपने सिर पर पत्थर दे मारा, जिससे वह जख्मी हो गया।
जेल अधीक्षक ने बताया कि पोस्को एक्ट व बलात्कार के आरोपी की ट्रायल लम्बे समय तक चलती है। जिसके कारण ऐसी वारदातों के आरोपी उलजुलूल हरकतें करके जेल प्रशासन को बदनाम करने का प्रयास करते रहते हैं।
शकुरूद्दीन ने भी जेल प्रशासन पर अनर्गल आरोप लगाकर जेल प्रशासन को दबाव में लेने का हथकंडा अपनाया है। मामले की सच्चाई क्या है, इसका पता तो बंदी के बयानों के बाद ही चल सकेगा।
आरोप लगने के बाद जेल प्रशासन घायल बंदी को उपचार के लिये जवाहर लाल नेहरू अस्पताल लेकर पहुंचे जहां चिकित्सकों ने उपचार देकर वापस जेल भेज दिया।