बीजिंग। सीमा पर जारी गतिरोध के बीच एक चीनी विशेषज्ञ ने कहा है कि भारत को एक बार फिर सबक सिखाने का समय आ गया है, क्योंकि वह अड़ियल रुख अपनाए हुए है।
अंतरराष्ट्रीय व्यापार और अर्थशास्त्र विश्वविद्यालय के प्रोफेसर जॉन गोंग ने सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स में एक टिप्पणी में कहा है कि भारत के डोकलाम में उल्लंघन को लेकर लोगों का धैर्य कम हो रहा है।
उन्होंने कहा कि इस तरह के बेलगाम पड़ोसी, भारत को समझ में आने वाली भाषा में जवाब देना चाहिए।
उन्होंने स्पष्ट तौर पर 1962 के युद्ध का जिक्र करते हुए कहा कि चीन के साथ भारत के साहस प्रदर्शन का इतिहास कभी उसका समर्थन नहीं करता है। यदि भारतीय पक्ष की स्मृति कमजोर हो गई है तो एक दूसरा सबक दिया जाना चाहिए।
हालिया सीमा गतिरोध तब पैदा हुआ, जब बीते महीने डोकलाम में चीनी जवानों को भारत ने सड़क निर्माण करने से रोका। भारत ने कहा कि यह इलाका भूटान का है और यह सड़क भारत के लिए रणनीतिक हितों के लिए खतरा हो जाएगी।
उन्होंने कहा है कि भारत के इस तर्क से यह भान होता है कि उसकी सेना जमीनी तौर पर कमजोर है। भारत का रुख है कि डोकलाम चीन और भूटान के बीच विवादित क्षेत्र है और उसे इसके संरक्षित राज्य भूटान द्वारा आमंत्रित किया गया है।
उन्होंने कहा है कि इसके अलावा यह भी दावा है कि चीन का डोकलाम में सड़क निर्माण ‘चिकन नेक’ को रणनीतिक तौर पर खतरा है।
‘चिकन नेक’ से तात्पर्य 27 किमी चौड़े सिलीगुड़ी कॉरिडोर से है, जो डोकलाम के दक्षिण में है। यह शेष भारत को पूर्वोत्तर हिस्से से जोड़ता है।
लेख में कहा गया है कि चीन डोकलाम में सीमा चौकियों पर बेहतर सैन्य सुविधा के लिए सड़क का निर्माण करने का प्रयास कर रहा है और भारत पर सुरक्षा देने के बहाने घुसपैठ करने का आरोप लगाया गया है।
लेख में कहा गया है कि चीन, सिक्किम या भूटान नहीं है, जहां भारत की सामरिक रणनीति काम करती है। लेखक में सीमा विवाद व कश्मीर विवाद के बीच संबंध भी स्थापित किया गया है।
विशेषज्ञ ने कहा है कि भारत ने इस आधार पर उल्लंघन कर दूसरे देश में दाखिल होने का साहस किया है, यदि इस तरह का तर्क सही है तो पाकिस्तान के निमंत्रण पर एक तीसरा देश निश्चित तौर पर कश्मीर में दाखिल हो सकता है।