नई दिल्ली। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने बुधवार को संसद में कहा कि इराक में लापता हुए 39 भारतीय जीवित हैं या मृत, इसका कोई प्रमाण नहीं है, लेकिन जब तक उनके बारे में कोई पुख्ता जानकारी नहीं मिल जाती, तब तक उनकी खोजबीन जारी रहेगी।
सुषमा ने लोकसभा में इस आरोप को खारिज किया कि सरकार इस मामले में देश को गुमराह कर रही है। उन्होंने कहा कि जब तक कोई सबूत नहीं मिल जाता, जून 2014 में इराक के मोसुल में लापता हुए 39 भारतीयों को मृत घोषित करना पाप होगा।
उन्होंने कहा कि उन्होंने इराक सरकार को सबूत के साथ जानकारी देने को कहा है कि उन 39 भारतीयों के साथ क्या हुआ।
मंत्री ने कहा कि इस्लामिक स्टेट के आतंकवादियों द्वारा अगवा किए गए, उनके कब्जे से निकल भागने में कामयाब रहे हरजीत मसीह ने दावा किया है कि भारतीयों की मोसुल के एक जंगल में गोली मारकर हत्या कर दी गई, लेकिन कोई शव या सबूत नहीं मिले हैं।
उन्होंने कहा कि यह बात सुनने के बाद मैने दूतावास से कहा है कि पूरे मोसुल और उसके आसपास खोजबीन करिए। आपको कहीं न कहीं 39 शव मिलेंगे या वहां खून के धब्बे होंगे। मैंने यह भी कहा है कि आईएस अगर किसी देश के कई लोगों की हत्या करता है तो वह इसकी सूची जारी करता है।
उन्होंने कहा कि एक व्यक्ति (मसीह) ने कहा है कि वे मारे गए हैं, लेकिन कम से कम छह सूत्रों ने कहा है कि वे जीवित हो सकते हैं।
सुषमा ने कहा कि प्राप्त जानकारी के अनुसार भारतीयों के समूह को मोसुल में पकड़ा गया, जेल ले जाया गया, जिसके बाद उन्हें निर्माण कार्यो और फिर खेतीबाड़ी में लगाया गया। इसके बाद उन्हें 2016 में बदुश जेल ले जाया गया, जिसके बाद से उनकी कोई सूचना नहीं है।
मीडिया में बदुश जेल इमारत के ध्वस्त होने की खबर के बाद मंत्री पर इस मामले में देश को गुमराह करने का आरोप लगाया गया था। उन्होंने हालांकि कहा कि उन्होंने लापता लोगों के परिवारों से सभी मुलाकातों में स्पष्ट कर दिया था कि जिस प्रकार उनके मृत होने का कोई सबूत नहीं मिला है, उसी प्रकार उनके जीवित होने का भी कोई सबूत नहीं है।
सुषमा ने कहा कि युद्ध में लोगों के चार वर्ग होते हैं, युद्ध के बंधक, लापता, मृत और जिन्हें मृत मान लिया गया हो। उन्होंने कहा कि ऐसे भी मामले हुए हैं, जब मृत समझे गए लोग कई वर्षो बाद जीवित पाए गए। सुषमा ने कहा कि जब तक कोई पुख्ता सबूत नहीं मिल जाता, तब तक फाइल बंद नहीं की जाएगी।