सेहत से जुड़े बहुत से नियम कायदे हमारे पूर्वज हमें सीखा चुके है, लेकिन आज के बीजी शेड्यूल में इन्हें फॉलों करना तो दूर, लगभग सब भूल चुके है। जबकि देखा जाए तो पूर्वजों की ओर से बनायी गयी हर परंपरा का संबंध हमारी सेहत से है।
सदियों से यहां ऐसी प्रथाएं चली आ रही हैं जिनकी शुरूआत कब, क्यों और कैसे हुई, इस बारे में किसी को खास पता नहीं है लेकिन आप उन परंपराओं को अगर अध्ययन करेंगे तो आपको पता चलेगा कि हमारे पूर्वजों की ओर से बनाई गई हर परंपरा का संबंध सीधे तौर पर हमारी सेहत से है।
मेहंदी लगाना, दिमाग रहता है शांत
मेहंदी हाथ और बाल दोनों के लिए अच्छी होती है, इससे दिमाग शांत और माइग्रेन जैसे रोगों से छूटकारा मिलता है। मेहंदी श्रृंगार का अमूल्य हिस्सा है, बिना इसके कोई भी शादी पूरी नहीं होती है।
हाथ से खाना खाना, रहते है एक्टिव
हाथ से खाना खाने से आपके अंदर बाहर के बैक्टिरिया पेट के अंदर नहीं जाते और वहीं दूसरी ओर हाथ और अंगुलियों काफी एक्टिव रहते हैं। आपके हाथ खाना खाते वक्त हर दिशा में मुड़ते हैं जिससे की हाथों की कसरत होती है। आप हाथ से खाना ग्रहण करेंगे तो जाहिर है आप हाथों की देखभाल भी करेंगे और उसे स्वच्छ भी रखेंगे जो कि निरोग रहने के लिए अति-आवश्यक है।
केले के पत्ते पर खाना, पचने में करता है मदद
दक्षिण भारत के में लोग केले के पत्ते में खाना खाते हैं, केले का पत्ता काफी शुद्द माना जाता है जिसका सीधा असर हमारे दिमाग पर होता है, केले के पत्ते की हरियाली आंखों को सकून और ठंडक खाने के पचने में मदद करती है।
खाना खाते वक्त पानी ना पीएं, होते हैं नुकसान
खाना खाने के साथ पानी नहीं पीना चाहिए क्योंकि इससे दो नुकसान होते हैं, पहला यह कि आपका खाना पचेगा नहीं और दूसरा आप पानी से पेट भर लेंगे और खान कम खायेंगे जो कि मेटाबॉलिज्म के लिए सही नहीं है।
कान-नाक छेदन, हैं एक्यूप्रेशर
कान-नाक को छेदने से लड़कियों मे मासिक धर्म नियमित रहता है और लड़कों में हार्निया की शिकायत नहीं होती। श्रवण केन्द्र स्वस्थ रहते हैं साथ ही कान और नाक में पहनने वाले जेवर ना केवल लड़कियों को सुंदर बनाते हैं बल्कि एक्यूप्रेशर का काम करते हैं जिससे ब्लड-प्रेशर भी सामान्य रहता है।