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वेनेजुएला में भारी हिंसा के बीच एएनसी के लिए 41 फीसदी मतदान - Sabguru News
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वेनेजुएला में भारी हिंसा के बीच एएनसी के लिए 41 फीसदी मतदान

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वेनेजुएला में भारी हिंसा के बीच एएनसी के लिए 41 फीसदी मतदान
Venezuela constitutional vote marred by deadly violence in the streets
Venezuela constitutional vote marred by deadly violence in the streets
Venezuela constitutional vote marred by deadly violence in the streets

काराकस। वेनेजुएला में विवादास्पद कॉन्स्टिट्युशनल एसेम्बली के लिए चुनाव हिंसक झड़पों के बीच संपन्न हो गया। राष्ट्रपति निकोलस मडुरो के आह्वान पर हुए चुनाव में 41.5 प्रतिशत वोट पड़े। हालांकि इस आंकड़े को विपक्षी गठबंधन डेमोक्रेटिक यूनिटी राउंडटेबल (एमयूडी) ने नहीं माना है।

‘बीबीसी’ के अनुसार, एमयूडी का कहना है कि 88 प्रतिशत मतदाता चुनाव दूर रहे और उन्होंने इसे मान्यता देने से इनकार कर दिया। विपक्षी गठबंधन का यह भी कहना है कि इससे देश में तानाशाही की स्थापना होगी।

नेशनल इलेक्टोरल काउंसिल (सीएनई) के अनुसार नेशनल कॉन्स्टिट्युएंट एसेम्बली (एएनसी) के लिए रविवार को वोट देने 8.8 करोड़ से अधिक मतदाता मतदान केंद्रों तक पहुंचे। एएनसी का गठन मडुरो ने देश के संविधान को फिर से लिखने के उद्देश्य से किया है।

चुनाव के दौरान देशभर में हिंसा हुई, जिसकी शुरुआत शनिवार रात से ही हो गई थी। इस हिंसा में 10 लोगों की मौत हो गई, जबकि 400 से अधिक घायल हो गए। हालांकि विपक्षी गठबंधन एमयूडी ने मृतकों की संख्या 14 बताई है।

इस बीच मडुरो ने मतदान के बाद अपने पहले टेलीविजन संबोधन में चुनाव का स्वागत किया और संसद, लोक अभियोजक कार्यालय, विपक्ष के नेताओं तथा निजी मीडिया के खिलाफ उठाए जाने वाले कदमों को लेकर चेताया।

उन्होंने कहा कि नया एएनसी चंद घंटों में अस्तित्व में आ जाएगा और यह ‘पूंजीवाद’ पर लगाम लगाने के साथ-साथ आर्थिक संकट का भी समाधान करेगा। साथ ही राजनीतिक गतिरोध को दूर करेगा और न्यायपालिका को भी अपने नियंत्रण में लेगा।

मडुरो ने चुनाव के मीडिया कवरेज की भी आलोचना की और निजी टेलीविजन चैनलों पर ‘चुनाव को सेंसर’ किए जाने का आरोप लगाया।

एक गैर-सरकारी संगठन फोरो पेनल वेनेजोलानो ने कहा कि 64 लोगों को जूलिया, मेरिदा, मोनागास, एरागुआ राज्यों तथा कराकास, कराबोबो तथा एंजोएतेगुई शहरों से गिरफ्तार किया गया। प्रदर्शनकारियों ने कराकास में एक यातायात पुलिस स्टेशन को आग के हवाले कर दिया।

विपक्ष ने सोमवार को और विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया। उन्होंने चुनाव को मान्यता देने से भी इनकार कर दिया है।

विपक्ष ने मडुरो को पिछले साल भी एक जनमत संग्रह अभियान के जरिये सत्ता से हटाने की कोशिश की थी और राष्ट्रपति पर इस अभियान को बाधित करने का आरोप लगाया था।

मडुरो ने इस चुनाव के लिए अप्रैल के आखिर में आह्वान किया था, जिसके बाद से देशभर में व्यापक हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए। इस दौरान 90 से अधिक लोगों की जान गई, जबकि हजारों घायल हुए।

मडुरो और उनके निर्णय की दक्षिणी अमरीकी देशों, यूरोपीय संघ तथा अमेरिका ने आलोचना की है। वेनेजुएला ने ऑर्गेनाइजेशन ऑफ अमेरिकन स्टेट्स (ओएएस) के सदस्य देशों अमेरिका, कनाडा तथा मेक्सिको द्वारा एसेम्बली के प्राधिकार को मान्यता नहीं दिए जाने के बारे में कहे जाने के बाद ओएएस से खुद को अलग करने की बात कही है।

मानवाधिकारों पर ‘चिंताजनक स्थिति’ को लेकर क्षेत्रीय आर्थिक समूह मर्कोसर के सदस्य देश ब्राजील, अर्जेटीना, पराग्वे व उरुग्वे पहले ही वेनेजुएला को इस समूह से अलग कर चुके हैं।

संयुक्त राष्ट्र में अमरीका की दूत निक्की हेली ने इस मतदान को ‘ढोंग’ करार देते हुए कहा कि यह ‘तानाशाही की ओर एक कदम’ है।