स्त्री की तारीफ कीजिए उसमें कोई शक नहीं है,
क्योंकि वह खुद का घर छोड़कर आती है पर कभी पुरुष के लिए भी दो शब्द बोला करो जो अंजान स्त्री को खुद का घर सौंप देता है।
कैसे सोऊं सुकून की नींद में साहब,
सुकून से सुलाने वालों के तो शव आ रहें हैं।
शहीदों को सलाम!
संता नया कलर टी.वी लाया और पानी में डुबोने लगा!
बंता ने देखा तो पूछा, “ये तुम क्या कर रहे हो?”
संता: चेक कर रहा था कि रंग तो नहीं निकल रहा, अभी गारंटी में है!
टीचर: आपके पिताजी कहाँ रहते हैं?
पप्पू: तिरवेन्दरम।
टीचर: सपेलिंग बताओ?
पप्पू: सर आजकल गोआ शिफ़्ट हो गये हैं।
बचपन में डराया जाता था कि मेंढक को पत्थर मारोगे तो गूंगी पत्नी मिलेगी।
कितना डरते थे तब… अब लगता है काश मार ही दिया होता।
एक दोस्त ने पूछा, “क्या है, परिवर्तन की परिभाषा?”
गालिब: “जो कभी बादलों की गरज से डर कर, लिपट जाती थी मुझसे; आज वह खुद बादलों से भी ज्यादा गरजती है।”
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