नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की प्रशंसा करते हुए उन्हें पिता समतुल्य और अपना गुरु बताया। मोदी ने मुखर्जी के राष्ट्रपति कार्यकाल के आखिरी दिन उनको लिखे एक पत्र में कहा कि उनकी बुद्धिमत्ता, दिशा-निर्देशन और गर्मजोशी से भरे स्वभाव ने उन्हें हमेशा ही आत्मविश्वास और ताकत दी।
मुखर्जी ने गुरुवार को इस पत्र को ट्विटर पर साझा करते हुए कहा कि मोदी के इस पत्र ने उनका दिल जीत लिया। मोदी ने जवाब में कहा कि प्रणब दा। आपके साथ काम करना हमेशा ही आनंदमय रहा।
मोदी ने पत्र में लिखा कि मैं एक बाहरी शख्स के तौर पर नई दिल्ली आया था। मेरे लिए यह जिम्मेदारी बहुत बड़ी और चुनौतीपूर्ण थी। इस दौरान, आप हमेशा पिता और एक गुरु की तरह मेरे साथ रहे।
मोदी ने कहा कि मुखर्जी का स्वभाव उनके प्रति हमेशा ही गर्मजोशी से भरा हुआ और स्नेही रहा। उन्होंने कहा कि आपका चिंता से भरा हुआ एक फोन कि ‘आप अपनी सेहत का ध्यान रख रहे हो ना’ मेरे अंदर ऊर्जा भरने के लिए पर्याप्त था।
मोदी ने मुखर्जी को बताया कि दोनों की विभिन्न राजनीतिक विचारधारा के बावजूद यह मुखर्जी की शक्ति और उनकी बुद्धिमत्ता ही थी कि दोनों ने एक साथ मिलकर काम किया।
उन्होंने कहा कि वह नीति से लेकर राजनीति, आर्थिक मामलों से लेकर विदेशी मामलों, सुरक्षा मुद्दों से लेकर राष्ट्रीय एवं वैश्विक महत्व के विषयों पर मुखर्जी की सालह लेते रहे।
मोदी ने पत्र में लिखा कि आपकी राजनीतिक यात्रा और राष्ट्रपति कार्यकाल के दौरान आपने राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखा। आप नेताओं की उस पीढ़ी से जुड़े हुए हैं, जिनके लिए राजनीतिक समाज को वापस कुछ देने का माध्यम रही है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपतिजी, प्रधानमंत्री के रूप में आपके साथ काम करना सम्मानजनक रहा।