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biggest ever decision of administration for hilly tourist place mount abu
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माउण्ट आबू के लिए अब तक का सबसे बडा प्रशासनिक निर्णय, सभी को जानना जरूरी

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माउण्ट आबू के लिए अब तक का सबसे बडा प्रशासनिक निर्णय, सभी को जानना जरूरी


परीक्षित मिश्रा-माउण्ट आबू। जिला प्रशासन ने माउण्ट आबू को लेकर अब तक का सबसे बडा प्रशासनिक निर्णय किया है। इस निर्णय के अनुसार अब माउण्ट आबू में बडी बसें जिनकी यात्री क्षमता 52 है वह आबूरोड से माउण्ट आबू नहीं जा पाएंगी। इन बसों को तलहटी से उपर नहीं जाने दिया जाएगा, लेकिन 32 सीटर मिनी बसों पर रोक नहीं है।

फिलहाल यह व्यवस्था बारिश के बाद सडक को हुए नुकसान के बाद टेम्पररी करने की बात प्रशासन कर रहा है, लेकिन इस व्यवस्था को स्थायी रूप से लागू किये जाने की उनकी इच्छा है। वैसे सिरोही पुलिस अधीक्षक की जिला कलक्टर को भेजी गई रिपोर्ट में इस मार्ग पर 52 सीटर बसों को स्थायी रूप से बंद करने की संस्तुति कर दी है और आबूरोड के उपखण्ड अधिकारी ने भी इसकी संस्तुति कर दी है।
-क्यों किया ऐसा
जिला कलक्टर के नाम से 2 अगस्त को पुलिस अधीक्षक सिरोही ने एक पत्र जारी करके इसका प्रस्ताव रखा है। पत्र में बताया कि आबूरोड से माउण्ट आबू मार्ग कई जगह से क्षतिग्रस्त हो गया है। इसके अलावा माउण्ट आबू में भी देलवाडा, अचलगढ और गुरु शिखर जाने वाला मार्ग भी सकडा है।

ऐसे में यहां से बडे आकार और ज्यादा वजन के कारण 52 सीटर बसों को निकालना सुरक्षा के लिहाज से उचित नहीं है। ऐसे में पुलिस अधीक्षक ने माउण्ट आबू से 27 किलोमीटर पहले आबूरोड तलहटी से उपर 52 सीटर बसों के चढने पर स्थायी रूप से रोक लगाने का प्रस्ताव जिला कलक्टर को भेजा है।

फिलहाल जिला कलक्टर ने माउण्ट आबू उपखण्ड अधिकारी से इस प्रस्ताव पर रिपोर्ट मंगवा ली है, उन्होंने भी इसका समर्थन किया है। जिससे फिलहाल आबूरोड से माउण्ट आबू जाने वाले 52 सीटर बडी बसों को तलहटी से उपर नहीं जाने दिया जा रहा है। 32 सीटर बस और इससे छोटे वाहनों पर रोक नहीं हैं।
-क्या होगा असर
माउण्ट आबू में स्थायी रूप से प्रतिदिनि फिलहाल पंद्रह-बीस रोडवेज और निजी बसें ऐसी होती हैं जो 52 सीटर होती हैं, लेकिन शेक्षणिक पर्यटन और धार्मिक पर्यटन के सीजन में मई से सितम्बर में इनकी संख्या प्रतिदिन तीस-पैंतीस हो जाती है। ऐसे में नियमित बसों में आने वाले यात्रियों को शायद यह समस्या नहीं आवे, लेकिन जुलाई से सितम्बर तक धार्मिक पर्यटन के लिए आने वाले लोगों के लिए इस निर्णय के स्थायी रूप से लागू किए जाने से माउण्ट आबू जाने में समस्या आएगी।
-विरोध के स्वर भी मुखर
जैसे ही माउण्ट आबू में 52 सीटर बसों को स्थायी रूप से बंद करने के निर्णय की चर्चा फैल रही है, वैसे ही इसके प्रति विरोध के स्वर भी उभर रहे हैं। वहीं कुछ लोग इसे पर्यावरण की दृष्टि से सही मान रहे हैं। विरोध करने वालों का मानना है कि जो रास्ता खराब हुआ है उसे प्रशासन को तुरंत दुरुस्त करना चाहिए न कि उस पर स्थायी रूप से बडी बसों को बंद करना चाहिए।

उनकी दलील है कि 2015 में सात जगहों से रास्ता पूरी तरह गायब होने पर भी कुछ ही घंटों में इस पर बडी गाडियां और ट्रक शुरू कर दिए गए तो अभी सिर्फ एक स्थान पर ही सडक को ज्यादा क्षति हुई है। स्थानीय लोगों का कहना है कि गत कई दशकों में भी सडक कई बार टूटी, लेकिन बडी गाडियां बंद नहीं की गई तो अब यह करना सडक की नहीं प्रशासन की कमजोरी है, कि वह इसे दुरुस्त नहीं कर पा रहा है। वहीं माउण्ट आबू में पर्यावरण क्षरण को लेकर चिंतित लोग इस निर्णय से खुश हैं।
-किराया नियंत्रण सबसे बडी समस्या
माउण्ट आबू में बडी बसों को बंद किए जाने के निर्णय की एक बडी चुनौति यह भी है कि 32 सीटर बसों की व्यवस्था और टैक्सियों द्वारा वसूली जाने वाली अनियंत्रित किराए पर प्रशासन कैसे नियंत्रण करेगा। अभी तक ऐसा करने में प्रशासन पूरी तरह से फेल ही रहा है। कायदे से जिला परिवहन अधिकारी द्वारा माउण्ट आबू से आबूरोड जाने का किराया तय हो जाना चाहिए, लेकिन ऐसा आज तक नहीं किया गया है।

जिससे टैक्सी चालकों की मनमाफिक किराया वसूली की समस्या यथावत है। बडी बसों के बंद करने के निर्णय पर सबसे पहली प्रतिक्रिया भी यही आई कि इससे तो टैक्सी वाले किराया बेतहाशा बढा देंगे। वैसे रोडवेज के पास ग्रामीण क्षेत्रों के लिए उपलब्ध करवाई गई मिनी बसें इस मार्ग पर चल सकेंगी, जो किराए में कुछ राहत दे सकती हैं।
-इनका कहना है…
आबूरोड माउण्ट आबू मार्ग कई जगह से क्षतिग्रस्त है। 52 सीटर बसों के वजन और उसके आकार को देखते हुए इन्हें माउण्ट आबू में स्थायी रूप से जाने पर रोक लगाने के प्रस्ताव पर आबूरोड एसडीएम की भी सहमति आ गई है। फिलहाल सुरक्षा के लिहाज से इस निर्णय को महीने भर के लिए तो लागू कर दिया है। शिमला और अन्य पहाडी स्थानों की तरह इसे स्थायी रूप से लागू करने का विचार है।
संदेश नायक
जिला कलक्टर, सिरोही।
अभी तक कभी ऐसा नहीं हुआ। इससे पहले भी कई बार इससे भी ज्यादा सडकों को क्षति पहुंची, लेकिन बडी बसों को स्थायी रूप से बंद नहीं किया गया। नगर परिषद और प्रशासन ने क्षतिग्रस्त स्थानों पर अपने आदमी लगाकर गाडियों को पास करवाया है। इस निर्णय से रामदेवरा से आने वाले गरीब पर्यटकों को नुकसान होगा। प्रशासन चाहे तो नगर पालिका इन स्थानों पर सुरक्षा के लिए अपने आदमी लगा सकती है। हमारा प्रयास है कि यह बसें स्थायी रूप से नहीं रुकें।
सुरेश थिंगर
पालिकाध्यक्ष, माउण्ट आबू।