सबगुरु न्यूज उदयपुर। राजस्थान के शेखावटी से शुरू हुआ ‘चोटी कटवा’ का आतंक उत्तर भारत के विभिन्न प्रांतों से होता हुआ शुक्रवार को दक्षिण राजस्थान के उदयपुर में भी पहुंच गया।
उदयपुर जिले के मावली उपखण्ड में शुक्रवार को महिलाओं में ‘चोटी कटवा’ का डर देखने को मिला। इसी उपखण्ड के सबसे बड़े कस्बे फतहनगर में भी इसका असर दिखाई दिया। असर इतना था कि मावली और फतहनगर में कई घरों के बाहर कुमकुम और हल्दी के छापे नजर आए। उन्हें देख अन्य महिलाएं भी मुख्य द्वार पर छापे लगातीं नजर आईं।
गांवों की महिलाओं का कहना है कि ‘चोटी कटवा’ जैसी घटना से बचाव के लिए मुख्य द्वार पर हल्दी और कुमकुम तीन-तीन छापे लगाए गए हैं। हालांकि, अभी किसी की चोटी कट जाने की पुष्टि नहीं हुई है।
आखिर कौन है चोटी काटने वाला, क्या है चोटी काटने वाले का सच
हरदोई में 2 महिलाओं की सोते समय कटी चोटी
महिलाओं की चोटी कटने का सिलसिला खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है और यह आतंक अब अंधविश्वास का रूप बनता जा रहा है। कुछ लोग इसे भूत-प्रेत का साया बता रहे हैं तो कोई कह रहा है कि इसके पीछे शरारती तत्वों का हाथ हो सकता है। वहीं कुछ लोग इस घटना से छुटकारा दिलाने के नाम पर कुछ तांत्रिक धंधा करके मालामाल हो रहे है और कुछ लोग मंदिर में भीड़ लगा रहे हैं।
समस्या इतनी गंभीर है कि लोग कैसे भी करके इस परेशानी से छुटकारा पाना चाहते हैं। इसके लिए वो तांत्रिक के पास जाकर तरह-तरह के उपाय कर रहे हैं। कई इलाकों में महिलाओं अपनी चोटी को पन्नी से ढंककर बाहर निकल रही है। इसके साथ ही लोग दरवाजे के बाहर मेंहदी भी लगा रहे हैं।
वहीं कुछ महिलाएं घर से बाहर निकलने से पहले अपने पास नीम के पत्ते रख रही हैं, ताकि चोटी काटने वालों के गिरोह से निकल सके। लोगों के मुताबिक ये सब टोटका करने से चोटी काटने वाले पास नहीं आते हैं।
फतेहपुर में घर के बाहर बैठी महिला की चोटी कटी
कुशीनगर : राखी बांधने आई महिला की चोटी कटी
मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि इसके पीछे दो कारण हो सकते हैं। पहला कारण है- मॉस्ट हिस्टीरिया नाम की मानसिक समस्या। इस समस्या के तहत एक स्थान विशेष में रहने वाला पूरा समूह किसी अफवाह पर भरोसा कर लेता है और उसे सच मानने लगता है। इसका परिणाम ऐसा होता है कि लोग इस तरह की हरकतें करने भी लगते हैं।
इसी तरह एक बार ‘मुंह नोचवा‘ की खबर फैली थी जिसे आजतक किसी ने नहीं देखा। लेकिन अफवाह पर लोगों को इतना विश्वास हो गया कि सोते वक्त उन्हें लगने लगा कि कोई उन्हें नोचकर भाग रहा है। वहीं 1980 के दशक में ‘बच्चे उठाने वाली चुड़ैल’ ने भी पूरे उत्तर भारत में इसी प्रकार का आतंक मचाया था। तब भी लोग अपने घरों के मुख्य द्वार पर मेहंदी, हल्दी और कुमकुम से हाथ के छापे लगाकर बला से बचाव का प्रयास करने लगे थे।