मुंबई। भगवान कृष्ण का जन्मदिन मंगलवार को धार्मिक उत्साह के साथ मनाया गया और पूरे मुंबई और राज्य के अन्य हिस्सों में हजारों गोविंदाओं ने देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत होकर रंगीन ‘दही हांडी’ के साथ कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार मनाया।
मानव पिरामिड की ऊंचाई पर बम्बई उच्च न्यायालय से राहत मिलने के बाद ‘दही हांडी’ समारोह का आयोजन मुंबई, ठाणे, नवी मुंबई, पालघर, पुणे, नासिक, कोल्हापुर, नागपुर और अन्य प्रमुख शहरों में पूरे उत्साह के साथ किया गया।
मौज मस्ती करने वाला समूह, जो गोविंदा के नाम से लोकप्रिय है, के स्वागत में विभिन्न स्थानों पर उत्साही लोगों की भीड़ ने ढोल और ‘गोविंदा आला रे, आला, जरा मटकी संभाल बृजबाला’ जैसे गीतों के साथ उनका स्वागत किया।
गोविंदाओं की मंडली तत्काल आगे आकर जमीन से 30-40 फुट की ऊचाई पर लटके ‘दही हांडी’, दूध के बर्तन, मक्खन और दही की मटकी फोड़ने के लिए अपने भाग्य आजमाने की कोशिश की।
‘दही हांडी’ को सफलापूर्वक फोड़ने वाले मानव पिरामिडों को प्रसिद्धि और लोकप्रियता के साथ ही नकद इनाम से पुरस्कृत किया गया।
स्वतंत्रता दिवस समारोह के साथ ही ‘दही हांडी’ का त्योहार पड़ने से गोविंदा भी तिरंगे के रंग में रंगे नजर आए। उन्होंने अपने चेहरे पर तिरंगा और टैटू बनवा रखा था। साथ ही मटकी भी तिरंगे और अन्य राष्ट्रीय चिह्नों के रंग में रंगा नजर आया।
मुंबई में दादर, घाटकोपर, बोरीवली, जोगेश्वरी और मुलुंड के अलावा ठाणे और नवी मुंबई में छह से आठ स्तरों में पिरामिड बनाए गए थे, जिसमें बहुत सारे पिरामिडों को प्रमुख राजनीतिक दलों की स्थानीय इकाइयों द्वारा संरक्षण दिया गया था।
दादर समूह आठ-स्तरीय पिरामिड के साथ ‘दही हांडी’ को फोड़ने में कामयाब रहा, जबकि ठाणे में लड़कियों के समूह ने छह स्तरीय पिरामिड के साथ दही हांडी फोड़ने में सफलता हासिल की।
ठाणे में, सर्वाधिक पुरस्कार 11 लाख रुपए था, जबकि घाटकोपर में सफल गोविंदा मंडली के लिए 25 लाख रुपए का प्रस्ताव था।
ठाणे के जय जवान मंडल ने नौ स्तरीय पिरामिड का निर्माण करने की कोशिश की, लेकिन गोविंदाओं के ऊपर पहुंचकर मटकी फोड़ने के पहले ही, यह ताश के पत्तों की तरह बिखर गई।
दादर, गोरेगांव और विक्रोली में लड़कियों के गोविंदाओं का समूह आकर्षण का केंद्र था, जब उन्होंने छह स्तरीय पिरामिड का निर्माण किया, जबकि विल पार्ले में लड़कियों का समूह ‘दही हांडी’ फोड़ने में कामयाब रहा।
सरकारी निर्देशों के अनुसार, सभी आयोजकों ने हेलमेट, हार्नेस और बॉडी बेल्ट, जमीन पर गद्दे जैसे सुरक्षा उपायों की व्यवस्था कर रखी थी। इसके अलावा स्वयंसेवकों ने पिरामिड के ढहने की स्थिति में एंबुलेंस की व्यवस्था भी कर रखी थी।
सरकार द्वारा निर्धारित अन्य शर्तो के अलावा, आयोजकों ने यह सुनिश्चित किया था कि सभी छोटे गोविंदा की पहचान पत्रों की जांच सुनिश्चित की जाए ताकि वे 14 वर्ष से कम आयु के न हों।
इसके साथ ही उच्च प्रशिक्षित, व्यावसायिक समूहों के अलावा, स्कूलों, कॉलेजों और हाउसिंग सोसाइटी में भी छोटे समूहों ने समारोह आयोजित किए।
‘दही हंडी’ को आम तौर पर लगभग 12-15 फुट की ऊंचाई पर रखा गया था और गोविंदाओं ने एक या दो स्तर तक पिरामिड बनाया और मटकी फोड़ी।