सबगुरु न्यूज-सिरोही। बत्तीसा नाला लघु सिंचाई परियोजना के डूब क्षेत्र से प्रभावित वन भूमि के अवानिकीकरण हेतु 17 अगस्त को पर्यावरण एवं वन मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्ली में आयोजित वन सलाहकार समिति की बैठक में परियोजना में आ रही 91.202 हैक्टयर वन भूमि के अवानिकीकरण के लिए स्वीकृति जारी की गई।
बैठक में परियोजना से विस्थापित होने वाले परिवारों को देय पुनर्वासन एवं पुनर्व्यवस्थापन पैकेज, वन विभाग को वन भूमि के बदले दी जाने वाली क्षतिपूर्ति वन भूमि के विकास, बांध की विभिन्न ऊंचाईयों पर वन भूमि एवं परियोजना के लाभ का तुलनात्मक अध्ययन तथा परियोजना से प्रभावित वन के विकास के संबंध में विस्तृत चर्चा की गई। बैठक में परियोजना के कैचमेन्ट एरिया सुधार एवं क्षतिपूर्ति वन भूमि के विकास की शर्त के साथ प्रथम चरण की सैद्वान्तिक स्वीकृति जारी की गई।
वन भूमि के अवानिकीकरण की बैठक में राज्य सरकार की ओर से ए.के. सिंह, अतिरिक्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं नोडल अधिकारी एफ.सी.ए. वन विभाग, राजीव चैधरी अतिरिक्त मुख्य अभियन्ता, जल संसाधन संभाग, जोधपुर, जे.पी.शर्मा अधिशासी अभियन्ता, जल संसाधन खण्ड, सिरोही एवं दिनेश गुप्ता सहायक वन सरंक्षक, अरण्य भवन, वन विभाग, जयपुर उपस्थित रहें।
वर्तमान में विभाग द्वारा निजी भूमि की अवाप्ति तथा विस्थापितों के पुनर्वासन की कार्यवाही की जा रही है। वन भूमि की स्वीकृति से बांध के निर्माण के संबंध में मार्ग प्रशस्त होगा।
उल्लेखनिय है कि बत्तीया नाला परियोजना आबूरोड के देलदर क्षेत्र में प्रस्तावित है। चुनावी वायदे के अनुसार नर्मदा लाने में विफल रही भाजपा सरकार ने आगामी चुनाव में जाने से पूर्व कवच के रूप में इस परियोजना को आगे बढाने का बीडा उठाया था और गत वर्ष जुलाई में सरकार आपके जिले में कार्यक्रम के तहत मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के सिरोही आगमन पर इसका आनन-फानन में शिलान्यास किया गया था।
बांध की कुल भराव क्षमता 577.40 मि.घ.फु. हैं, जिस में से 269.80 मि.घ.फु. जल का उपयोग सिरोही जिलें कें 31 गांवो व 2 शहरों को पेयजल सुविधा हेतु तथा शेष पानी से ग्राम देलदर, भारजा इत्यादि गांवों की 900 हैक्ट. क्षैत्रफल में सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराया जाना प्रस्तावित हैं।