पुत्र-पौत्रों के लिए मांगी सुख-समृद्धि
वत्स द्वादशी को कह सकते हैं बेटों का त्योहार
सबगुरु न्यूज़ उदयपुर। उदयपुर अंचल में शनिवार को वत्स द्वादशी पारम्परिक श्रद्धा व रीतिरिवाज के अनुसार मनाई गई। माताओं ने सुबह-सुबह गाय के बछड़े की पूजा की। इस दौरान परम्परागत गवलिया-जवलिया की कथा श्रवण की गई। इसके बाद माताओं ने पुत्र-पौत्रों को तिलक लगाकर श्रीफल व नेग प्रदान किया। साथ ही उनकी सुख-समृद्धि व लम्बी उम्र की कामना की। पुत्र-पौत्रों ने भी मां-दानी-नानी के चरण छूकर आशीर्वाद लिया।
वत्स द्वादशी की परम्परा के अनुसार माताओं ने आज चाकू का काटा नहीं खाया। घरों में पूरे चने, मूंग, कढ़ी, मक्की की रोटी, चावल जैसे ही व्यंजन बनाए गए जिनको बनाने में चाकू का प्रयोग नहीं होता। गौरतलब है कि भाद्रपद शुक्ल पक्ष की द्वादशी को मनाया जाने वाला यह पर्व पुत्र-पौत्र की मंगल कामना से जुड़ा है। इस दिन माताएं व्रत रखती हैं। इसे बेटों का त्योहार भी कह सकते हैं। राखी के त्योहार को बेटियों का त्योहार कहा जाता है तो वत्स द्वादशी पर बेटों को नेग देने की परम्परा से इसे बेटों का त्योहार कहा जा सकता है।