लखनऊ। बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने यहां रविवार को कहा कि भ्रष्टाचारियों को हर प्रकार का खुला संरक्षण देकर उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं की जा रही है, शायद इसी डर से मोदी सरकार ने केंद्र में अब तक बहुचर्चित ‘लोकायुक्त’ की नियुक्ति नहीं की है, जबकि इस संबंध में नया कानून लगभग साढ़े तीन वर्ष पहले ही देश में लागू हो चुका है।
बसपा प्रमुख ने कहा कि देश के लोगों में जो आम धारणा है कि भाजपा बड़े-बड़े पूंजीपतियों व धन्नासेठों की पार्टी है व उन्हीं के धनबल से एवं उनके इशारे पर ही चलने वाली पार्टी है, वह शत-प्रतिशत सही है। अभी-अभी प्रकाशित हुए अकाट्य आंकड़ों ने भी यह पूरी तरह से सही साबित कर दिया है।
माया ने यह भी कहा कि इससे यह प्रश्न और भी ज्यादा महत्वपूर्ण व सामयिक हो जाता है कि ऐसी पार्टी व इस पार्टी की सरकार गरीब-हितैषी कैसे हो सकती है और साथ ही इससे यह प्रमाणित भी हो जाता है कि राज्यों की भाजपा सरकारें भी एक के बाद एक जनविरोधी, किसान विरोधी व धन्नासेठ समर्थक फैसले क्यों लेती जा रही है।
मायावती ने रविवार को जारी अपने बयान में कहा कि एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ने जो ताजा आंकड़े एक बड़े कार्यक्रम में सार्वजनिक किए हैं, उसके मुताबिक भाजपा ने कुछ धन्नासेठों से वर्ष 2012-13 से वर्ष 2015-16 के बीच अपने हिसाब-किताब वाले कुल चंदे का 92 प्रतिशत यानी लगभग 708 करोड़ रुपये लिया है।
उन्होंने कहा कि इन लोगों ने इस प्रकार अन्य श्रोतों से कितना आकूत धन लिया गया होगा, इसका अंदाजा बीजेपी के शाही चुनावी खर्चो से आसानी से लगाया जा सकता है। वैसे भी उत्तर प्रदेश का लोकसभा व विधानसभा का चुनाव इस बात का गवाह है कि बीजेपी द्वारा यहां चुनाव किस शाह खचरें के साथ लड़ा गया और रुपए किस तरह पानी की तरह बहाकर जनता को हर प्रकार से बरगलाने का काम किया गया।
मायावती ने कहा कि आज यह किसी से भी छिपा नहीं है कि जबसे बीजेपी एंड कंपनी का प्रभाव देश की राजनीति में बढ़ा है, तबसे बड़े-बड़े पूंजीपतियों व धन्नासेठों ने भाजपा को हर प्रकार से सहयोग व अधिक से अधिक चंदा देकर भारतीय राजनीति व सरकार में अपना बेजा हस्तक्षेप काफी बढ़ाया है। यही कारण हैकि चुनाव काफी हद तक धनबल, साम, दाम, दंड, भेद आदि हथकंडों का खेल बनकर रह गया है।
उन्होंने कहा कि देश के लोकतंत्र को विकृत करने वाली इस बुराई से चुनाव आयोग सबसे ज्यादा चिंतित लगता है।
मायावती ने कहा कि चुनाव आयुक्त ओ.पी.रावत द्वारा उसी एडीआर के कार्यक्रम में यह कहना कि ‘आचार संहिता को ताक पर रखकर हर कीमत पर चुनाव जीतना वर्तमान में राजनीति का नया मापदंड बन गया है’, भाजपा की चुनावी सफलताओं को खोखला बताते हुए यह साबित करता है कि भाजपा वास्तव में मात्र 31 प्रतिशत वोटों वाली व चुनावी हथकंडों वाली पार्टी है।
उन्होंने कहा कि देश में राजनीति के स्तर में इस प्रकार की गिरावट बहुत ही खतरनाक प्रवृत्ति है, जिसके लिए बीजेपी एंड कंपनी के साथ-साथ जनता के प्रति अनुत्तरदायी आरएसएस भी कम जिम्मेदार नहीं है और इसी कारण इन खतरों के बारे में बसपा बार-बार लोगों को अगाह करती रहती है कि इस देश में ‘वोट हमारा, राज तुम्हारा’ की गलती को सुधारने की जरूरत है।
मायावती ने कहा कि भाजपा के बड़े-बड़े दावों में एक खोखला दावा यह भी है कि उसके 10 से 12 करोड़ सदस्य हैं। इससे यह प्रश्न उठता है कि भाजपा को मिलने वाले चंदों में उसके सदस्यों का अंशदान इतना कम यानी चार वर्षो में मात्र 63 करोड़ ही क्यों है? क्या इससे यह साबित नहीं होता है कि भाजपा के आंकड़े फर्जी, बनावटी व खोखले हैं?