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बेनजीर भुट्टो हत्या मामले में मुशर्रफ भगोड़े घोषित, पांच बरी - Sabguru News
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बेनजीर भुट्टो हत्या मामले में मुशर्रफ भगोड़े घोषित, पांच बरी

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बेनजीर भुट्टो हत्या मामले में मुशर्रफ भगोड़े घोषित, पांच बरी
pervez musharraf declared fugitive in Benazir Bhutto assassination case
pervez musharraf declared fugitive in Benazir Bhutto assassination case
pervez musharraf declared fugitive in Benazir Bhutto assassination case

रावलपिंडी। पाकिस्तान की एक आतंकवाद रोधी अदालत ने गुरुवार को पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो की हत्या के मामले में पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ को भगोड़ा घोषित किया।

अदालत ने मामले में गिरफ्तार पांच आरोपियों को बरी कर दिया जबकि दो पुलिस अधिकारियों को 17-17 साल जेल की सजा दी गई। न्यायाधीश असगर खान ने रावलपिंडी के आदियाला जेल में फैसले की घोषणा की। न्यायाधीश ने मुशर्रफ की संपत्तियों को जब्त करने का आदेश दिया।

2007 में एक दशक बाद पाकिस्तान में हो रहे चुनावों में हिस्सा लेने पहुंची भुट्टो की गोलीबारी व बम हमले में हत्या कर दी गई थी।

डॉन ऑनलाइन की रिपोर्ट के मुताबिक पूर्व सैन्य तानाशाह के लिए बेमियादी गिरफ्तारी वारंट जारी किए गए। मुशर्रफ इस समय दुबई में निर्वासन में रह रहे हैं।

मुशर्रफ ने तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को 1999 में सत्ता से हटा दिया था। उनके प्रशासन को बेनजीर भुट्टो को सुरक्षा मुहैया कराने में नाकाम रहने का जिम्मेदार ठहराया गया था। बेनजीर भुट्टो पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी की प्रमुख थीं और दो बार प्रधानमंत्री रह चुकी थीं।

अदालत ने पांच आरोपियों रफाकत हुसैन, हुसनैन गुल, शेर जमान, एतजाज शाह व अब्दुल राशिद को सभी आरोपों से मुक्त कर दिया, क्योंकि उनके खिलाफ सबूत नहीं मिले।

अदालत ने दो पुलिस अधिकारियों रावलपिंडी सेंट्रल पुलिस के पूर्व अधिकारी सउद अजीज और रावल शहर के पूर्व एसपी खुर्रम शाहजाद को 17-17 वर्ष के कारावास की सजा सुनाई है। इन पर बेनजीर की सुरक्षा में लापरवाही का आरोप सही साबित हुआ।

दोनों पुलिस अधिकारियों को अदालत कक्ष से ही गिरफ्तार कर लिया गया। इन पर पांच-पांच लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया।

रिहा हुए पांचों आरोपियों के खिलाफ सुनवाई फरवरी 2008 से शुरू हुई। इन पर तालिबान आतंकवादियों से जुड़े होने का संदेह था।

एक अदालत ने 2008 नवंबर में इन पर आपराधिक साजिश रचने, अपराधियों को उकसाने, अवैध विस्फोटक सामग्री के प्रयोग और 27 दिसंबर 2007 को आतंकवाद फैलाने का आरोप लगाया था, जब पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर समेत 21 लोग रावलपिंडी के लियाकत बाग के बाहर गोलीबारी और बम धमाके में मारे गए थे। उस समय बेनजीर एक चुनाव रैली से लौट रही थीं।

मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि ऐसा माना जाता है कि इस मामले के दो अन्य संदिग्ध इबादुर रहमान और अल कायदा में नंबर तीन का नेता माना जाने वाला मुस्तफा अबु यजीद उर्फ शेख सईद अल मसरी पाकिस्तान में अमेरिका के ड्रोन हमले में मारे गए थे।

कानूनी प्रक्रियाओं के दौरान सात चलान प्रस्तुत किए गए और आठ न्यायाधीश व तीन अदालतें बदली गईं। अभियोजन पक्ष से करीब 68 गवाह प्रस्तुत किए गए।