लखनऊ। उत्तर प्रदेश के फरुर्खाबाद के एक सरकारी अस्पताल में 49 नवजातों की मौत होने के बाद अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सकों के खिलाफ लगाए गए आरोपों के विरोध में मंगलवार से जिले के सरकारी चिकित्सक सामूहिक अवकाश पर चले गए।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर सोमवार को राम मनोहर लोहिया जिला अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधिकारी, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक और एक वरिष्ठ बाल विशेषज्ञ के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई।
राज्य के चिकित्सक संघों के पदाधिकारियों ने बताया कि चिकित्सकों ने सात सितंबर तक अवकाश पर रहने का फैसला किया है, लेकिन उन्होंने साथ ही यह भी कहा कि आपातकालीन सेवाओं और पोस्टमॉटर्म सेवाओं में कोई व्यवधान नहीं आएगा।
प्रांतीय चिकित्सा सेवा संघ ने राज्य सरकार से नवजातों की मौतों की जांच करने के लिए एक तकनीकी टीम का गठन करने का आग्रह किया है।
एक गैर-तकनीकी टीम सही इलाज नहीं मिलने, उचित ध्यान नहीं देने और ऑक्सीजन की कमी के चलते 20 जुलाई से 21 अगस्त के बीच नवजात गहन चिकित्सा इकाई में 30 शिशुओं और प्रसव कक्ष में 19 शिशुओं की मौत की जांच कर रही हैं।
राज्य सरकार पर जल्दबाजी और दबाव में फैसला लेने का आरोप लगाते हुए चिकित्सकों ने आगाह किया है कि निर्दोष चिकित्सकों का उत्पीड़न फौरन बंद किया जाना चाहिए।
प्रधान सचिव (स्वास्थ्य) प्रशांत त्रिवेदी को भेजी गई एक विज्ञप्ति में पीएमएस चिकित्सकों ने भी तीनों चिकित्सकों के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को फौरन वापस लेने की मांग की है।
जिला पीएमएस एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक यादव और महासचिव अमित शाह ने कहा कि केवल गंभीर रूप से अस्वस्थ्य बच्चों को नवजात गहन चिकित्सा इकाई में भर्ती किया जाता है और ‘चिकित्सक सीमित संसाधनों व कर्मचारियों के साथ ही उनका जीवन बचाने का भरपूर प्रयास करते हैं।
उन्होंने इस संबंध में स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह से भी बात की है। संयुक्त निदेशक चिकित्सा स्वास्थ्य करण सिंह मंगलवार को फरु खाबाद पहुंचे और राज्य सकार के आदेश पर मामले की जांच शुरू कर दी। सरकार ने सोमवार को जिला मजिस्ट्रेट सहित तीन अधिकारियों का तबादला भी कर दिया।