इंफाल। पुलिस ने मणिपुर विकास सोसायटी (एमडीएस) में 185.79 करोड़ रुपए के घोटाले की जांच शुरू कर दी है और घोटाले से संबंधित फाइलों को बरामद कर लिया है।
उप-विभागीय पुलिस अधिकारी घनश्याम शर्मा ने परियोजना के पूर्व अधिकारी और वर्तमान में एमडीएस की विशेष ड्यूटी पर तैनात यांबेम निंगथेम पॉश इलाके में स्थित घर पर दो दिनों तक तलाशी है। अन्य आरोपियों के घरों पर भी छापे मारे जाएंगे।
एक सितंबर को पूर्व मुख्यमंत्री व विपक्ष के नेता ओकराम इबोबी सिंह के खिलाफ इस मामले को लेकर प्राथमिकी दर्ज हुई थी। इसके अलावा तीन पूर्व मुख्य सचिवों, पी.सी लवमकुंगा, डी.एस.पूनिया और ओ.नबाकिशोर व एमडीएस प्रशासनिक अधिकारी एस. रंजीत के घर छापेमारी हुई थी।
जिला और सत्र अदालत ने निंथेम और रंजीत की अग्रिम जमानत याचिकाओं को खारिज कर दिया है। अन्य आरोपियों ने अभी तक अग्रिम बेल के लिए आवेदन नहीं किया है। नबाकिशोर और लवमकुंगा ने स्पष्ट कहा है कि उन्होंने कुछ गलत नहीं किया है।
लोकताक झील में पानी वाले खेलों के लिए बुनियादी ढांचा उपलब्ध कराने के लिए 185.79 करोड़ रुपए मंजूर किए गए थे, जिसका कथित तौर पर गबन किया गया।
अपनी अंतरिम रिपोर्ट में राज्य सतर्कता आयोग ने कहा है कि घोटाले से संबंधित कुछ फाइलें इंफाल के पास स्थित निंगथेम के घर से बरामद की गईं। वहीं, विपक्षी नेता इबोबी शहर से बाहर हैं।
विपक्षी कांग्रेस ने इस कार्रवाई को राजनीतिक प्रतिशोध करार दिया है लेकिन मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने कहा कि गमन का राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए। प्राथमिकी किसी को दोषी नहीं ठहराती हैं। पुलिस केवल इस गमन के बारे में मिली शिकायत की जांच कर रही है। जिन लोगों ने गलती की है उन्हें कानून के मुताबिक भुगतान करना होगा।
सरकार ने पहले ही करोड़ रुपए से जुड़े कुछ घोटालों के संबंध में कुछ अधिकारियों को निलंबित कर दिया है।
बीरेन ने बताया कि भारतीय जनता पार्टी भ्रष्टाचार मुक्त सरकार बनाने और संस्थागत भ्रष्टाचार का पता लगाने का वादा किया था और ‘सभी वर्गो के लोग सरकारी कार्यो से खुश हैं।