अगरतला। बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने गैर भाजपा शासित पूर्वोत्तर के तीन राज्यों त्रिपुरा, मेघालय और मिजोरम में होने वाले चुनाव के लिए रणनीति को अंतिम रूप दे दिया है।
भाजपा की त्रिपुरा इकाई के अध्यक्ष बिप्लब कुमार देब ने बताया कि अमित शाह ने मंगलवार को नई दिल्ली में त्रिपुरा, मेघालय और मिजोरम के पार्टी नेताओं से मुलाकात की और प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में पार्टी को बूथ स्तर पर मजबूत करने को कहा।
देब ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह समेत पार्टी के केंद्रीय नेता, मंत्रियों और संसद सदस्यों का एक दल अगले महीने से चुनाव वाले सभी राज्यों में अभियान शुरू करेगा। देब के मुताबिक प्रधानमंत्री और अमित शाह का दौरा वाम शासित राज्य त्रिपुरा में अक्टूबर और नवंबर में होगा।
उन्होंने कहा कि गुवाहाटी में एनईडीए (नार्थ-ईस्ट डेमोक्रेटिक अलायंस) की बैठक के बाद स्थानीय और क्षेत्रीय दलों के साथ भाजपा के गठजोड़ को अंतिम रूप दिया जाएगा। पूर्वोत्तर राज्यों के विभिन्न क्षेत्रीय और स्थानीय दलों को एनईडीए की बैठक में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया जा रहा है, जो इस महीने के तीसरे या चौथे सप्ताह में होने की उम्मीद है।
पूर्व कांग्रेस नेता और वर्तमान में असम के वित्त, शिक्षा और स्वास्थ्य मंत्री हिमांता बिस्व सरमा भाजपा समर्थित गठबंधन (एनईडीए) के संयोजक होंगे।
त्रिपुरा में फिलहाल मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेतृत्व वाले वाम मोर्चा का शासन है। जबकि मेघालय और मिजोरम में कांग्रेस का शासन है।
इन तीनों पूर्वोत्तर राज्यों के अतिरिक्त नागालैंड में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। नागालैंड में सत्तारूढ़ नागा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) के नेतृत्व वाले नागालैंड लोकतांत्रिक गठबंधन (डीएएन) में भाजपा एक घटक है।
त्रिपुरा के भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि नई दिल्ली में हुई इस बैठक में त्रिपुरा, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, असम, मणिपुर, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश के प्रदेश अध्यक्षों और प्रमुख नेताओं ने हिस्सा लिया।
पिछले साल की शुरुआत तक पूर्वोत्तर के आठ में से पांच राज्यों में कांग्रेस सत्ता में थी, जिनमें असम, अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, मेघालय और मणिपुर शामिल थे। लेकिन एक साल में राजनीतिक समीकरण उलट गए और असम, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मणिपुर और सिक्किम में भाजपा समर्थित स्थानीय गठबंधनों का शासन है।
वाम शासित त्रिपुरा में, भाजपा ने पिछले महीने तृणमूल कांग्रेस के छह विधायकों को तोड़कर अपने में मिलाने में सफलता हासिल की है। त्रिपुरा में हजारों कांग्रेसी, तृणमूल कांग्रेस और अन्य पार्टी के नेता और सदस्य भी भाजपा में शामिल हो गए हैं।