सबगुरु न्यूज़ उदयपुर। एशिया की सबसे बड़ी मीठे पानी की झील जयसमंद अब छलकने को है। इसका जलस्तर शुक्रवार सुबह 8 बजे तक 8.28 मीटर था, इसका कुल जलस्तर 8.38 मीटर है। पानी की जबर्दस्त आवक से बैक वॉटर और कैचमेंट में पानी का विस्तार हो चुका है। बैक वॉटर एरिया के गांवों में पानी आ जाने वाले वे टापू बन जाते हैं। यह स्थिति करीब 6 महीने तक बनी रहेगी। ऐसे में इन गांवों का जिला और उपखण्ड मुख्यालय से सीध सम्पर्क कट गया है।
अब इन गावों तक पहुंचने का एकमात्र साधन नाव है। सलूम्बर उपखण्ड के मेवल क्षेत्र में मैथूड़ी पंचायत इससे सबसे अधिक प्रभावित है। इस पंचायत के गांवों भैंसों का नामला के 22 व पायरी के 32 परिवार जलस्तर बढने के साथ टापू में फंस गए हैं। इन दोनों गांवों में जाने वाला मार्ग अब डूब गया है। जब जलस्तर 27 फीट 6 इंच को छू लेगा तो गांव में पानी का स्तर 6 फीट के करीब आ जाएगा।
वर्तमान में इन गांवों के पुरुष जान जोखिम में डाल 350 मीटर की जोखिम भरी दूरी को पार कर रहे हैं। वहीं महिलाएं व बच्चे गांव से बाहर नहीं आ पार रहे हैं। इधर, बिजली नहीं होने से अंधेरे में चिमनी की सहायता से जीवन यापन कर रहे हैं। ग्रामीणों के लिए नियमित जीवन चलाने का भी संकट खड़ा है।
प्रशासन इन दोनों गांवों के 57 परिवारों के रहने के लिए मैथूड़ी पंचायत के सरकारी भवन, आंगनबाड़ी केन्द्र सतत शिक्षा केन्द्र, किसान सेवा केन्द्र में व्यवस्था करता है लेकिन ग्रामीण अपनी समस्या का स्थाई समाधान चाहते हैं। ग्रामीणों की मांग है कि उन्हें स्थाई रूप से नए स्थान पर बसा दिया जाए। वहीं एसडीएम सलूम्बर गोपीलाल चंदेल का कहना है कि दोनों टापू बने गांवों की हालत का जायजा लिया है। वैकल्पिक व्यवस्था के लिए उन्हें सरकारी भवनों में रहने की व्यवस्था की गई है। चरनोट व गढ़ के निकट की जमीन पर पशु चराने के लिए चरनोट की व्यस्था की गई है। स्थाई जमीन के लिए आगे प्रस्ताव भेजा जाएगा।