अजमेर। अजमेर स्थित मित्तल हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेन्टर के ब्रेन व स्पाइन रोग विशेषज्ञ डॉ. सिद्धार्थ वर्मा ने दो महिलाओं के स्पाइन फ्रेक्चर का बैलून काइफोप्लास्टी के द्वारा सफल इलाज किया।
दोनों महिलाएं अपने घरों में फिसल कर गिरने से चोट ग्रस्त हुई थीं। इसके बाद से उनका चलना-फिरना दूभर हो रखा था। कमर में असहनीय दर्द होता था। दोनों महिलाएं इलाज पाने के अगले ही दिन से आराम से हैं और अब अच्छे से चल-फिर पा रही हैं।
जानकारी के अनुसार अजमेर पाल बीचला निवासी 55 वर्षीय एक महिला करीब पंद्रह दिन पहले घर में गिरने से चोट ग्रस्त हुई थीं। उनका चलना फिरना मुश्किल हो गया था। कमर में तेज दर्द होता था। जांच करने पर पता चला कि उनके रीढ़ की हड्डी( स्पाइन ) में एल1 में फ्रेक्चर है।
इसी तरह एक अन्य महिला अजमेर निवासी 67 वर्षीय भी 20 दिन पहले पैर फिसलने से गिर गई थीं। माया देवी के रीढ़ की हड्डी ( स्पाइन ) में डी12 फ्रेक्चर हो गई।
दोनों ही महिला मरीजों का डाॅ सिद्धार्थ वर्मा ने बैलून काइफोप्लास्टी से सफल इलाज किया इससे दोनों ही महिलाएं उपचार के अलगे दिन से ही चलने -फिरने लगीं। आॅपरेशन में लगभग एक घंटे का समय लगा। इसमें मरीज को निश्चेतना विशेषज्ञ डाॅ मीनल एवं नर्सिंग स्टाफ मुकेश, हेमा, साजिद, व रामेश्वर ने सहयोग किया।
डाॅ वर्मा ने बताया कि सामान्य तौर पर इस अवस्था में उपचार के परम्परागत तरीके को अपनाने में तीन महीने तक मरीजों को बिस्तर पर ही विश्राम करना होता है। बैलून काइफोप्लास्टी स्पाइन फ्रेक्चर होने पर उपचार की आधुनिक तकनीक है। इससे मरीज को अगले दिन से ही राहत मिल जाती है और वह आराम से चल-फिर भी सकता है।
क्या है बैलून काइफोप्लास्टी
डाॅ सिद्धार्थ वर्मा ने बताया कि बैलून काइफोप्लास्टी मिनिमल इंवेसिव स्पाईन सर्जरी की नवीनतम तकनीक है। इसमें बिना किसी चीरफाड़ के एक सूई द्वारा फ्रेक्टचर वाले स्थान पर पहुंच कर इसका इलाज किया जाता है। इसमें एक बैलून द्वारा फ्रेक्चर को ठीक कर इसमें विशेष प्रकार की सीमेंट (पीएमएमए) भर दी जाती है। पूरी प्रक्रिया में तकरीबन पौन से एक घंटे का समय लगता है।