भंवरलाल
सबगुरु न्यूज। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार आकाश मंडल मे सूर्य के चारों ओर परिक्रमा करते हुए वृहस्पति ग्रह 12 सितम्बर 2017 को तुला राशि में प्रवेश करेंगे। तुला राशि के चित्रा, स्वाति विशाखा नक्षत्र में भ्रमण करते हैं।
वृहस्पति ग्रह धनु तथा मीन राशि के स्वामी होते हैं। कर्क इनकी उच्च व मकर नीच राशि होती है। यह सूर्य चन्द्र ओर मंगल ग्रह के मित्र होते हैं। बुध व शुक्र शत्रु तथा शनि राहू ग्रह से सम भाव रखते हैं वृहस्पति ग्रह।
नव संवत् का राजा मंगल व मंत्री वृहस्पति ग्रह है। नव संवत लग्न में गुरू सातवें भाव में बैठेंगे और जगत लग्न के दसवें भाव मे बैठेंगे।
गुरू जब तुला राशि में होते हैं तब तक्षक नाम का मेघ होता है तथा आशविन नाम का वर्ष होता है। वर्षा की स्थिति अच्छी लेकिन असमान वितरण होने सें फसलों को नुकसान पहुंच सकता है तथा बाजार भावों में सदा ही उतार चढ़ाव बना रहेगा। लोगों में धर्म कर्म की रूचि बढ़ेगी व यज्ञ अनुष्ठान अधिक होंगे।
शुक्र के घर में बैठ बृहस्पतिग्रह राज सत्ता में वैमनस्य बढाएगा तथा शासकों में युद्ध कराकर सत्ता परिवर्तन कराएगा। वृहस्पति ग्रह चूंकि शिक्षा, संस्कृति, बुद्धिजीवियों का प्रतिनिधि है लेकिन शुक्र के घर में बैठ कर असंतोष करा नए परिवर्तन का आधार बनाएंगे।
विक्रम संवत लग्न के सातवें स्थान पर तथा जगत लग्न के दसवें भाव मे वृहस्पति ग्रह की अशुभ स्थिति विश्व के प्रमुख शासनाधयक्षों के लिए चुनौती पूर्ण तथा शारीरिक हानि देने वाली व सत्ता से मुक्त करने वाली बन सकती है ऐसी मान्यता पुराण में मिलती है।
वृहस्पति ग्रह चाहे कितना भी शुभ ग्रह क्यों ना हो, जन्म पत्रिका में उसकी स्थिति अशुभ भाव में होने से सदा परिणाम अशुभ ही आएंगे चाहे वह अपने उच्च राशि कर्क में ही क्यों न बैठा हो।
संक्षिप्त मेष, मिथुन, कर्क सिंह व कन्या राशि वालों को लाभदायक होगा तथा शेष राशियों के मिले जुले फल देगा। कुल मिलाकर वृहस्पति ग्रह शिक्षा, राजनीति, बुद्धिजीवी वर्ग, सिनेमा से सम्बन्धित व्यक्ति, मरू प्रदेश व वित्त व व्यवसाय को अत्यधिक प्रभावित कर देगा तथा शिक्षा, वित्त के क्षेत्र में कई अनियमितता को उजागर करेगा।
नोट : ज्योतिष शास्त्र की ये मान्यताए हैं और आकाश के बदलते ग्रहों के संकेत मात्र है। शेष परमात्मा ही जानें।