सबगुरु न्यूज़ उदयपुर। गज़ल एकेडमी उदयपुर द्वारा बाॅलीवुड के ख्यातनाम गीतकार एवं उर्दु कवि के ख्यातनाम शायर शकील आजमी की संध्या आज शाम सरदारपुरा स्थित कुंभा भवन में आयोजित की गई, जिसमें श्रोता शकील आज़मी एवं अन्य गज़ल गायकों डाॅ. देवेन्द्र हिरन, सरोज राठौड़, डाॅ. दीपिका अत्रे, डाॅ. पामिल मोदी द्वारा पेश की गई गज़लों के सुरूर में खो से गये। अनेक बार गज़लों के शब्दों पर श्रोताओं ने तालियों की भरपूर दाद देकर गायकों की हौसला अफज़ाई की।
संध्या की शुरुआत सरोज राठौड़ द्वारा पेश की गई गज़ल छत दुआ देगी किसी के लिये जीन बन जाएं.. से हुई। इसके बाद डाॅ. दीपिका अत्रे ने फूल का शाख पे आना भी बुरा लगता है.., डाॅ. पामिल मोदी ने फिल्म तुम बिन में प्रख्यात गज़ल गायक जगजीतसिंह द्वारा गई गई गज़ल जागते-जागते एक उम्र कटी हो जैसे.. को अपनी आवाज दी तो श्रोताओं ने तालियों के साथ उनका हौसला बढ़़ाया।
इसके अलावा एक और गज़ल कोई फरियाद न बची हो जैसे…, खुद को इतना भी मत बचाया कर, बारिशें हो तो भीग जाया कर.. को अपनी सुरीली आवाज दी तो सभी ने उसकी मुक्तकंठ से सराहना की। गज़ल गायक डाॅ. देवेन्द्र हिरन ने अपनी मंजिल पे पहंुचना भी, खड़े हो कर रहना भी कितना मुश्किल है, बड़े हो कर बड़ा रहना भी.. पेश की।
सबसे खास बात यह कि सभी गज़ल गायकों ने शकील आज़मी द्वारा लिखित गज़लों को अपनी आवाज दी। सभी गायकों के साथ हारमोनियम पर गज़ल गायक डाॅ.प्रेम भण्डारी, तबले पर ओम कुमावत, संतूर पर भूपेन्द्र गन्धर्व ने संगत की।
जब गीतकार शकील आज़मी मंच पर तशरीफ लाये तो श्रोताओं ने खड़े कर हो कर उनका इस्तकबाल किया। शकील ने अपने कार्यक्रम की शुरूआत अपनी सबसे चर्चित गज़ल.. परों को खोल जमाना देखता है, जमीं पर बैठ कर क्या आसमान देखता है.. पेश की तो श्रोता मंत्रमुग्ध हो गये। इसके बाद उन्होेंने मैंने दीवार पे क्या लिख दिया खुद को एक दिन, बारिशें होने लगी मुझको मिटाने के लिये.., चंाद लाकर कोई नहीं देगा अपने चेहरे से जगमगाया कर.. सहित कई गज़ले पेश कर सभी को आनन्दित कर दिया।
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि पूर्व केन्द्रीय मंत्री डाॅ. गिरिजा व्यास, विशिष्ट अतिथि महानिरीक्षक जेल डाॅ. प्रीता भार्गव, मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.जे.पी.शर्मा, पश्चिम क्षेत्र संास्कृतिक केन्द्र के फुरकान खान, वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ डाॅ. अरुण बोर्दिया, आकाशवाणी के पूर्व निदेशक माणिक आर्य थे।
इस अवसर पर शकील आज़मी द्वारा लिखित पुस्तक ‘परों को खोल’ का सभी अतिथियों ने विमोचन किया। कार्यक्रम में तामीर सोसायटी की ओर से इकबाल सागर एवं अन्य अतिथियों ने शायर शकील आज़मी का उपरना एवं शाॅल ओढ़ाकर एवं स्मृतिचिह्न प्रदान कर सम्मानित किया। गज़ल एकेडमी के अध्यक्ष जे.के.तायलिया एवं सचिव डाॅ. देवेन्द्र हिरन ने सभी का स्वागत किया। कार्यक्रम का संचालन डाॅ. सरवत खान ने किया।