नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को दिल्ली विश्वविद्यालय चुनाव पैनल को छात्र संघ (डूसू) चुनाव में अध्यक्ष पद के परिणाम घोषित करने की अनुमति दे दी है।
न्यायाधीश इंदरमीत कौर ने अपने पुराने आदेश को संशोधित करते हुए यह अनुमति दी। न्यायाधीश कौर ने विश्वविद्यालय को छात्र संघ चुनाव की गिनती के बाद अध्यक्ष पद के परिणाम घोषित नहीं करने और इसे लिफाफा बंद करने के आदेश दिए थे।
विश्वविद्यालय ने बाद में अदालत में अर्जी पेश करते हुए कहा कि मतदान की आशिंक गिनती और अध्यक्ष पद के परिणाम को घोषित न करना संभव नहीं है क्योंकि चुनाव इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के जरिये हुए हैं। अदालत ने उसके बाद अन्य पदों के साथ ही अध्यक्ष पद के परिणाम की घोषणा करने की अनुमति दी।
डीयू चुनाव पैनल ने कहा कि मतदान क्योंकि इवीएम के जरिए हुए हैं इसलिए यह संभव नहीं है कि बिना अध्यक्ष पद की गिनती किए अन्य पदों के मतों की गिनती पूरी हो।
उच्च न्यायालय ने हालांकि कहा कि अगर अध्यक्ष पद के परिणाम को घोषित किया जाता है तो इसका परिणाम नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया(एनएसयूआई) के अध्यक्ष पद के उम्मीदवार रॉकी तुसीद की याचिका की सुनवाई के फैसले पर निर्भर करेगा। रॉकी ने अपना नामांकन रद्द किए जाने के खिलाफ उच्च न्यायालय में याचिका दायर की है।
डीयू ने अपनी अर्जी में कहा है कि चूंकि अभी तुसीद की याचिका पर फैसला आना बाकी है इसलिए अदालत सभी उम्मीदवारों के परिणामों को घोषित करने की अनुमति दे।
डीयू की ओर से दायर याचिका के अनुसार कि डीयू छात्र संघ चुनाव के मतदान की गिनती और इसके परिणाम की घोषणा एक खुली प्रक्रिया है जो सभी उम्मीदवारों की उपस्थिति में होता है। पूरी प्रक्रिया का गणना केंद्र में लगे प्रोजेक्टर पर सीधा प्रसारण किया जाता है। इसलिए अदालत के आदेश के अनुसार परिणाम को छुपाना और इसे बंद लिफाफे में रखना व्यवहारिक रूप से संभव नहीं है।
दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव मंगलवार को हो रहे हैं और इसके परिणाम बुधवार को घोषित किए जाएंगे।
इससे पहले आठ सितंबर को अदालत ने अपने अंतरिम आदेश में एनएसयूआई के अध्यक्ष पद के उम्मीदवार रॉकी तुसीद के चुनाव लड़ने की अनुमति दी थी। रॉकी तुसीद ने छह सितंबर को डीयू सीईओ के उस फैसले को अदालत में चुनौती दी थी जिसमें डीयू चुनाव अधिकारी ने उसके खिलाफ अनुशासनात्मक मामला दर्ज होने को आधार बनाते हुए उसका नामांकन रद्द कर दिया था।
अपने निर्णय के समर्थन में चुनाव अधिकारी ने शिवाजी कॉलेज में रॉकी के खिलाफ की गई अनुशासनात्मक कार्रवाई का जिक्र किया था जिसमें वर्ष 2014 में उसके परिसर में घुसने पर रोक लगा दी गई थी।