मैसूर। दस दिवसीय ‘मैसूर दशहरा’ की शुरुआत पूरी भव्यता और उत्साह के साथ गुरुवार से हो गई। त्योहार में कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और अन्य अधिकारियों ने भी भाग लिया।
मैसूर से 13 किलोमीटर दूर चामुंडी हिल्स में जाने-माने कन्नड़ कवि एवं पद्मश्री के.एस. निसार अहमद के साथ ही सिद्धारमैया और अन्य अधिकारियों द्वारा मैसूर दशहरा, जिसे ‘नदा हब्बा’ भी कहा जाता है, की शुरुआत की गई।
मैसूर बेंगलुरू से लगभग 150 किमी दूर स्थित है, जो अपने पारंपरिक दशहरे के लिए दुनिया भर के आगंतुकों को आकर्षित करता है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत को दर्शाता है।
सिद्धारमैया ने उद्घाटन समारोह में कहा कि मैं एनसीसी कैंडिडेट के तौर पर स्कूल के दिनों से इस त्योहार का एक हिस्सा रहा हूं, फिर एक मंत्री के रूप में और फिर पिछले पांच सालों से मुख्यमंत्री के रूप में।
कवि अहमद ने कहा कि यह त्योहार समाज में धर्मनिरपेक्षता के सबसे अच्छे उदाहरणों में से एक है, क्योंकि यह हर किसी के द्वारा मनाया जाता है।
वर्ष 1912 में निर्मित प्रतिष्ठित मैसूर पैलेस में हजारों बल्बों को त्योहारों के दिनों में सात बजे शाम से लेकर दस बजे रात तक जलाया जाएगा। अधिकारियों के मुताबिक हर साल दस हजार विदेशी पर्यटक दशहरा उत्सव के दौरान शहर में आते हैं।