हैदराबाद। ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने गुरुवार को गृह मंत्री राजनाथ सिंह के उस बयान को ‘कपटपूर्ण’ करार दिया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि म्यांमार से भागकर भारत में प्रवेश करने वाले रोहिंग्या शरणार्थी नहीं हैं, बल्कि अवैध आव्रजक हैं जिन्हें वापस भेजा जाना चाहिए।
ओवैसी ने कहा कि भारत में मौजूद अधिकांश रोहिंग्या लोगों के पास शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र उच्चायुक्त (यूएनएचसीआर) द्वारा जारी किए गए कार्ड हैं।
संवाददाताओं से बात करते हुए ओवैसी ने कहा कि चकमा भी बांग्लादेश से थे और उन्हें भारतीय नागरिकता दी गई। उन्होंने दावा किया कि श्रीलंका के तमिल भी इसी तरह से भारत आए थे।
उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया था कि जीवन का अधिकार और समानता का अधिकार केवल भारतीय नागरिकों के लिए ही नहीं, बल्कि विदेशियों के लिए भी है। करीब 40,000 रोहिंग्या मुसलमानों ने भारत में शरण ले रखी है।
गृह मंत्रालय ने सोमवार को रोहिंग्या लोगों को वापस म्यांमार भेजने को लेकर सर्वोच्च न्यायालय में एक हलफनामा सौंपा था, जिसमें रोहिंग्या को ‘भारत के लिए खतरा’ बताया गया। अदालत इस मामले पर तीन अक्टूबर को सुनवाई करेगी।
ओवैसी ने कहा कि दुनिया जानती है कि रोहिंग्या देशविहीन और बेदखल किए गए लोग हैं और वह 1947 के बाद से सभी मानवाधिकारों से वंचित हैं। म्यांमार में रहने वाले 15 लाख रोहिंग्याओं में से मुश्किल से तीन से चार हजार के पास ही दस्तावेज हो सकते हैं।
उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में शरण लेने वाले रोहिंग्या 1977 से 1997 के बीच संयुक्त राष्ट्र की निगरानी में वापस चले गए थे लेकिन म्यांमार सरकार ने उन्हें फिर से भागने को मजबूर किया है।