पैर लटकते स्कूल से आते-जाते हैं बच्चे
हादसों से नहीं लेता कोई सीख
शिवसेना जगाएगी पब्लिक व प्रशासन को
सबगुरु न्यूज़ उदयपुर। सुबह और दोपहर के वक्त जब आप किसी स्कूल के आसपास होंगे तो टेम्पो-वैन में भरे बच्चों को देख आपको अपने बच्चे की भी चिंता जरूर सताएगी कि वो भी ऐसे ही आ रहा होगा। लेकिन, आप यह सोचकर सिर झटक कर बुरा ख्याल मन से निकालने का प्रयास करते हैं कि इस समस्या का निजात ढूंढऩे निकले तो परेशानी हमारी ही बढ़ जाएगी। ऑटो वाला चार बच्चों को ले जाएगा तो किराया दुगुना मांगेगा, अगर मना कर दिया तो बच्चे को हमें ही छोडऩे-लेने जाना पड़ेगा, इससे हमारी दिनचर्या प्रभावित हो जाएगी, वगैरह-वगैरह। लेकिन, प्रशासन भी इस ओर ध्यान नहीं देता। चार नहीं तो छह सही, लेकिन कम से कम बच्चों की टांगें और बैग तो बाहर नहीं लटकें। टेम्पो के पीछे की ओर बिठाना कहां तक उचित है।
इसी चिंता को लेकर शिव सेना ने जागरूकता अभियान की घोषणा की है। शिव सेना के उपसंभाग प्रमुख गजेन्द्र सिंह राठौड़ ने बताया कि 10 सीटर वैनों में डिक्की तक में बच्चे ठंूसे जा रहे हैं। स्कूल इसे अभिभावकों और वैन वाले के बीच का मामला कहकर जिम्मेदारी नहीं लेते। उनका सवाल है कि चौराहों पर खड़े सिपाहियों को यह स्थिति नजर नहीं आती। कभी कोई हादसा होता है तो हर कोई चिंता जताता है, जांच होती है, कुछ दिन कार्रवाई होती है, फिर सभी भूल जाते हैं, आखिर इस पर रोज जागरूकता क्यों नहीं की जा सकती?
शिव सेना के कार्यकारी जिला प्रमुख सुधीर शर्मा ने मांग की है कि जिला प्रशासन इसका जांच अभियान चलाकर ये सुनिश्चित करने की कोशिश करे कि क्या स्कूल बसों व वैन में स्पीड गवर्नर जैसे सुरक्षा मानक भी पूरे किए जा रहे हैं या नहीं?
स्कूल प्रबंधन से जुड़े वाहन मालिक, अध्यापकों का संबंधित थाने में पूरा रिकॉर्ड रखा जाए। दिल्ली में प्रद्युम्न की हत्या की घटना के बाद कुछ स्कूलों ने अपने से जुड़े हर व्यक्ति का पुलिस वैरिफिकेशन कराने की शुरुआत की है, लेकिन यह जांच सभी स्कूलों में होनी चाहिए। शिवसेना के संभाग मीडिया प्रभारी गौरव नागदा ने बताया कि प्रशासन इसे गंभीरता से नहीं लेता है तो शिव सेना इसे लेकर अभियान छेड़ेगी।