पणजी। बंबई हाईकोर्ट की पणजी पीठ ने मंगलवार को तहलका के पूर्व संपादक तरुण तेजपाल पर एक निचली अदालत में आरोप तय करने के फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। इसके साथ ही पीठ ने उच्च न्यायालय की सहमति के बाद ही मामले की सुनवाई शुरू करने के निर्देश दिए।
अदालत का यह आदेश गोवा में 2013 में एक कांफ्रेंस के दौरान अपनी सहकर्मी के कथित दुष्कर्म के मामले में अतिरिक्त उत्तरी गोवा जिला और सत्र न्यायालय द्वारा उनके खिलाफ आरोप तय करने को चुनौती देने की तेजपाल की याचिका के बाद आया है।
तेजपाल के वकील अमन लेखी ने आरोप तय करने की प्रक्रिया को चुनौती देते हुए कहा कि दुष्कर्म के आरोप झूठे हैं और अभियोजक पक्ष ने उन्हें साक्ष्य सौंपने में तीन साल की देरी कर दी।
वहीं, अभियोजन पक्ष के वकील सरेश लोटलीकर ने कहा कि सिर्फ उचित सुनवाई ही तेजपाल के खिलाफ लगे आरोपों की सत्यता साबित कर सकती है।
न्यायाधीश पृथ्वीराज चव्हाण ने साथ ही निर्देश दिए कि उनकी सहमति के बाद ही निचली अदालत में प्रत्यक्षदर्शियों की जांच हो सकती है।
तेजपाल पर भारतीय दंड संहिता की धारा 341 (अनाधिकृत तरीके से रोकने), 342 (गलत तरीके से बंदी बनाने), धारा 376 (दुष्कर्म) के तहत मामला दर्ज किया गया है और उसमें एक अतिरिक्त धारा 354 (बी) (महिला का शील भंग करने के इरादे से उस पर हमला या आपराधिक बल प्रयोग करना) को भी जोड़ा गया है।
तरुण तेजपाल पर नवंबर 2013 में उत्तरी गोवा में एक कार्यक्रम के दौरान एलेवेटर में अपनी जूनियर महिला सहकर्मी का यौन शोषण करने का आरोप लगा है।
इस घटना के उजागर होने के बाद तेजपाल को गिरफ्तार कर लिया गया था और अभी वह जमानत पर रिहा है। गोवा की मापुसा की जिला एवं सत्र अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 28 सितंबर को मुकर्रर की है। उच्च न्यायालय तेचपाल की याचिका पर अगली सुनवाई एक नवंबर को करेगा।