राजसमंद। महाराणा प्रताप के इतिहास में गौरवशाली स्थान रखने वाले दिवेर-छापली के युद्ध स्मारक (बेटल मेमोरियल) छापली पर विजयदशमी के दिन युद्ध में जीत की यादें ताजा हो गईं।
इस अवसर पर संबोधित करते हुए भगवान सिंह चौहान कहा कि दिवेर छापली युद्ध का महत्व महाराणा प्रताप के इतिहास से जुड़ा है। 1576 में हल्दीघाटी युद्ध में हार के बाद 1582 में दिवेर छापली युद्ध विजय ने गौरव शाली अमिट इतिहास बना दिया। 36 मुगल ठिकानों पर पुनः आधिपत्य स्थापित हुआ और प्रताप का राज्याभिषेक हुआ।
जसवंत सिंह मण्डावर ने संबोधित करते हुए कहा कि इतिहास से छेड़छाड़ नही करने की बात कहते हुए कहा मगरा क्षेत्र व रावत राजपूत समाज के अदम्य शौर्य से मैराथन ऑफ़ मेवाड़ की जीत ने मेवाड़ का इतिहास व महाराणा प्रताप का जीवन बदल दिया। विजयदशमी के दिन महाराणा प्रताप की पहली व जीवन की एकमात्र जीत हुई।
जयराम सिंह गहलोत ने छापली के राता खेत, धम धम रोड़ी, पांच महुआ, गोकलगढ़, उडेश्वर महादेव, सूरजकुंड, राणा भगड़ के बारे में विस्तार से अवगत कराया। इतिहासकार चन्दन सिंह ने मेवाड़ के मैराथन युद्ध पर प्रकाश डालते हुए युद्ध की रुपरेखा प्रस्तुत की।
बहलोल खां को एक वार में घोड़े सहित ऊपर से नीचे काटने का वृतान्त पेश किया। इस अवसर पर कैप्टन राम सिंह, सैनिक कल्याण बोर्ड उदयपुर के अधिकारी अनोप सिंह,सैनिक कल्याण बोर्ड भीम अध्यक्ष कैप्टन वन्ना सिंह, पतंजलि योग समिति जिलाध्यक्ष रामलाल रेगर, अंतराष्ट्रीय चित्रकार नवल सिंह चौहान, महासभा प्रदेश वरिष्ठ महामंत्री जयराम सिंह गहलोत आदि उपस्थित। संचालन जयराम सिंह गहलोत ने किया। इतिहासकार चन्दन सिंह व सरपंच लक्ष्मण सिंह ने आभार व्यक्त किया।
केरियर गाइडेन्स शिविर आयोजित
छापली-दिवेर युद्ध के विजयोत्सव के अवसर पर केरियर गाइडेन्स शिविर आयोजित किया गया। इस अवसर पर वायु सेना, नौसेना, थल सेना भर्ती की प्रक्रिया, तैयारी, परीक्षा, शारीरिक दक्षता के बारे में सैनिक कल्याण बोर्ड उदयपुर के अधिकारी अनोपसिंह ने विस्तार पूर्वक बताया।
इनके साथ वायु सेना अधिकारी संपत सिंह, कमांडो मनोहर सिंह, जयराम सिंह गहलोत, चुन्नीलाल सालवी, कुलदीप सिंह ने विस्तृत जानकारी से अवगत कराया। स्थानीय शारीरिक प्रशिक्षक लक्ष्मण सिंह ने सेना भर्ती के टिप्स बताते हुए शारीरिक दक्षता के लिए शीघ्र ट्रेक बनाने की बात की। इसके अतिरिक्त प्रशासनिक सेवा, रेलवे सहित कई क्षेत्रों में कैरियर के बारे में बताया।
युद्ध स्मारक पर योग
छापली युद्ध स्मारक पर योग शिविर का आयोजन भी किया गया। जिसमें पतंजलि योग समिति जिलाध्यक्ष रामलाल रेगर व प्रशिक्षक लक्ष्मणसिंह खोखावत ने योग पर विस्तृत जानकारी से अवगत कराते हुए योग कराया।
मगरा क्षेत्र के शहीदों का किया वन्दन
मगरा क्षेत्र के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम, प्रथम विश्व युद्ध, द्वितीय विश्व युद्ध, आजाद हिंद फौज, भारत-चीन युद्ध 1962, भारत-पाक युद्ध 1965, 1971 , कारगिल युद्ध 1999 के सहित शहीद हुए हजारों शहीदों को नम आंखों से श्रदांजलि अर्पित करते हुए वन्दन किया।
वही भीम- देवगढ़ क्षेत्र के शहीद अजायब सिंह पावटिया, किशन सिंह कालागुमान, रामलाल लूनिया, बवानसिंह बार, तिलोक सिंह कुकड़ा, चतर सिंह बार, केशर खाँ काठात बोरवा , ओंखारसिंह ताल, नरेंद्र सिंह जेतपुरा बोरवा, भंवर खाँ काठात जेतपुरा बोरवा , नारायण सिंह थानेठा, निम्ब सिंह राजवा को छायाचित्र पर माल्यार्पण कर याद किया।
विभिन्न संगठनों ने किया याद
छापली में आयोजित समारोह में युद्ध स्मारक समिति छापली, गोकलगढ़ नवयुवक छापली , ग्राम पंचायत छापली,महाराणा प्रताप नवयुवक मंडल छापली, मगरा विकास मंच राजस्थान, राजस्थान रावत- राजपूत महासभा, रावत- राजपूत सर्कल सभा, पतंजलि योग समिति राजसमंद, गायत्री परिवार राजसमंद, सैनिक कल्याण बोर्ड उदयपुर, शिव प्रेम मंडल व गहलोत महासभा ने सामूहिक रूप श्रदांजलि अर्पित की।