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मौत से बचने को बेबस शेर मांद में घूंसा तो...  - Sabguru News
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मौत से बचने को बेबस शेर मांद में घूंसा तो… 

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मौत से बचने को बेबस शेर मांद में घूंसा तो… 

सबगुरु न्यूज। जब भारी शक्ति बल का पहलवान दुनिया के अखाडे में एक अदने से पहलवान से हार जाता है तब उसके मन के घृणा उतपन्न होती हैं और वह दंगल को एक बुरा सपना मानकर अपने भाग्य को चूम लेता है तथा अखाडे की दुनिया को छोड़ फिर जमी पर खड़ा हो जाता है।

कभी ना हराने वाला वह जंगल का राजा शेर गर्मजोशी के साथ अपने ही नहीं वरन् उस जंगल के आसपास के सभी जंगलों में भी घूमता रहता ओर अपने बल से जंगलों के जानवरो को मारकर खा जाता था। वह बाहर शिकार की दुनिया में इतना व्यस्त हो जाता कि अपनी मांद में वापस नहीं जा पाता।

तरह तरह के जानवरों का शिकार करता हुआ वह विधर्मी हो गया। दहाड़ उसमें शेर की थी लेकिन शरीर उसका निर्दयी हो गया, उसके आतंक से छोटे व अहिसंक छोटे पशु जंगल से समाप्त हो गए।

एक दिन कई जंगली सूअरों ने उस शेर को घेर लिया। भीषण संग्राम हुआ। शेर ने कई सूअरों को मार दिया ओर कई घायल हो गए। अपने शौर्य व बल का प्रदर्शन करते हुए शेर अपने दो पंजों पर खड़ा होकर बाकी बचे जिन्दा सूअरों को देखने लगा।

अचानक से तीन जंगली सूअर जो घायल हो गए थे वे तुरंत उठे और अपना मजबूत सींग उस शेर के पेट में झटके के साथ डाल दिए। जंगल का राजा एक-दम दर्द से मूर्छित होने लगा। तीन खून की तेज़ घार उसके शरीर से निकलने लगी।

अपनी मौत की विदाई को सामने खडे देख वह भागकर अपनी मांद में घुसने लगा तो एकदम झटके के साथ वह मांद के बाहर गिरा ओर मांद में से निकले एक दूसरे शेर ने उसको मौत के घाट उतार दिया।

संत जन कहते हैं कि हे मानव जंगल के राजा शेर ने शिकार के लोभ से अपने स्थान को छोड़ दिया और जगह जगह वह जंगली पशुओं की हत्या कर अपने आप को अजेय समझ वापस अपनी मांद में नहीं गया।

एक कमजोर शेर यह सब नजारा देख उसकी मांद में ही रहने लगा और आसपास के छोटे जानवरों से अपना गुजारा कर बली हो गया। हिंसक शेर इस बात से वाकिफ न हो पाया और जब वह बचने के लिए अपनी मांद में घुसा तो उसे मौत का मुंह देखना पडा।

हे मानव, ये मांद व्यक्ति का भूत हैं और इसे भूलकर जो भविष्य की चिंता में वर्तमान को गंवा देता है, अपने व्यवहार व कामों से उसका अतीत ही कुंठित हो कर उसका काल बन जाता है।

भूत काल में जिन सहारा देने वाले कंधों को वह तोड़कर आया है फिर वही कंधे उसके पैर को तोड़ भविष्य के लिए पंगु बना देते हैं। इसलिए हे मानव तू भूत के आधार पर वर्तमान को कुंठित मत बना, वरना भविष्य भंवर में फंस जाएगा।

सौजन्य : भंवरलाल