भोपाल। मध्य प्रदेश के भारतीय पुलिस सेवा अधिकारी धर्मेंद्र चौधरी से पुलिस वीरता पदक वापस ले लिया गया है। इसके लिए भारत सरकार के राजपत्र में अधिसूचना भी जारी की गई है।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक चौधरी को झाबुआ जिले में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक के पद पर रहते हुए मोस्ट वॉन्टेड अपराधी लोहार को वर्ष 2002 में मुठभेड़ में मार गिराने पर 15 मई 2004 को पुलिस वीरता पदक दिया गया था। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने जांच में इस मुठभेड़ को सही नहीं पाया था, लेकिन राज्य सरकार इसे मुठभेड़ ही मान रही थी।
भारत सरकार के 30 सितंबर 2017 के राजपत्र में राष्ट्रपति सचिवालय की ओर से जारी अधिसूचना में धर्मेंद्र चौधरी का पुलिस वीरता पदक रद्द करते हुए उसे जब्त करने को कहा गया है।
चौधरी वर्तमान में रतलाम परिक्षेत्र में पुलिस उप-महानिरीक्षक के पद पर कार्यरत हैं। चौधरी ने गुरुवार को बताया कि उन्हें मीडिया से पदक रद्द करने की सूचना मिली है, उनका अभी पक्ष भी नहीं सुना गया है। विभाग के समक्ष वह अपनी बात रखेंगे।
चौधरी के अनुसार लोहार एक बड़ा अपराधी था, उसने गुजरात, राजस्थान व मध्य प्रदेश में कई वारदातों को अंजाम दिया था। उस पर लूट सहित लगभग 14 मामले दर्ज थे और पुलिस ने उसे वर्ष 2002 में हुई मुठभेड़ में मार गिराया था।