भोपाल। अंक शास्त्र द्वारा मानव जीवन का पूरा भविष्य और उसकी विशेषताओं का ज्ञान होता है। अंक शास्त्र (गणित शास्त्र) और ग्रहों का एक संबंध है।
प्रत्येक अंक पर विशिष्ट ग्रहों का प्रभुत्व रहता है और उसके अनुसार जीवन में हमेशा शुभ-अशुभ घटनाक्रम घटित होते रहते हैं। जिस तरह जन्म कुंडली में ग्रहों का प्रभाव कार्य करता है, उसी प्रकार अंक ज्योतिष में अंको की भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है।
प्रत्येक नंबर किसी न किसी ग्रह से जुड़ा हुआ है, जैसे अंक 1 सूर्य का, अंक 2 चन्द्र का तथा अंक 3 बृहस्पति का प्रतिनिधित्व करता है। अंक 4 राहू, 5 बुध, 6 शुक्र, 7 केतु, 8 शनि और 9 वां अंक मंगल ग्रह की शक्ित का प्रतीक है, इसीलिए ही अंक ज्योतिष में 1 से 9 तक के अंकों को शामिल किया गया है, इसमें शून्य (0) को सम्मिलित नहीं किया गया है।
जिस व्यक्ति का जन्म अंग्रेजी महीने की 1, 10, 19, 28 तारीख को होता है, उसका मूलांक 1 होगा। यह फार्मुला अन्य अंकों को लेकर है, जैसे दो अंक वाले वे सभी माने जायेंगे जिनका जन्म 2, 11, 20, को हुआ है। यहां हम विस्तृत बात कर रहे हैं अंक एक की , इस अंक का अधिपति सूर्य है। इनकी पूजा संपूर्ण विश्व में की जाती है।
इस अंक में जन्में व्यक्ति दृढ़निश्चयी, स्वतंत्रता प्रिय, तथा नेतृत्व की जन्मजात प्रतिभा वाले होते हैं। ये बड़े परिश्रमी, लग्नशील, स्वाभिमानी तथा शक्तिशाली होते हैं। झुकना ये जानते नहीं और न ही समझौतावादी इनका स्वभाव है। इनके जीवन में उत्थान पतन आते रहते हैं।
क्रोधावेग इनका तीव्र होता है। इनका दाम्पत्य जीवन सुखी कहा जा सकता। गृह कलह के योग कम ही बनते हैं। निरन्तर चिन्तनशील एवं लक्ष्य भेदी व्यक्ति होते हैं। हर स्थिति में ये धैर्य का दामन थामें रहते हैं। महत्वाकांक्षी होते हैं। ऐसे जातकों का व्यवहार सन्तुलित, व्यावहारिक होता है। स्वभाव अत्यंत उदार किन्तु किसी का दबाव बरदाश्त नहीं करते। आर्थिक मामलों में कंजूसी से काम लेते हैं। दूसरों को शीघ्र ही अपने विचारों से प्रभावित कर डालते हैं।