सबगुरु न्यूज। चौहदवीं के चांद का यश पूर्णिमा के ग्रहण से कलंकित होकर धुल जाता है और चन्द्रमा श्वेत उज्जवल से काला हो जाता है। चन्द्रमा पर लगा यह ग्रहण का कलंक अमावस्या की उस काली रात की तरह हो जाता है जहां उस चन्द्रमा के होने के बावजूद भी उसके अस्तित्व को नकार दिया जाता है।
अपयश की चादर ओढ़े चन्द्रमा को जब हीरे का ताज पहना दिया जाता है तो काला हुआ वह चन्द्रमा और ज्यादा कंलकित हो जाता है, लगता है कि किसी कौवे को मोर पंख लगाकर उसकी बदसूरती को निखार दिया गया।
ग्रहण आसमां के चांद को होता है पर जमीन के लोग धार्मिक आस्था वश मंदिरों के कपाट बन्द कर देते हैं। खाने पीने के सामान को ढंक देते हैं और ग्रहण के बाद उसको अछूत मान स्वयं स्नान कर देव प्रतिमाओं का भी शुद्धीकरण कर फिर दान पुण्य कर, वास्तविक दिनचर्या की ओर लौटते हैं।
अगली ही रात मुस्कराता हुआ चन्द्रमा अपनी पूरी शान ओ शौकत के साथ निकलता है और लोग उसी चांद की पूजा अर्चना कर उससे ही यशस्वी होने का आशीर्वाद लेते हैं। यह हरक़त देख चांद अपनी गवाही में सितारों की दुनिया को लाकर अपनी बेगुनाही का सबूत देकर चला जाता है।
यह हरक़त देख राहू ग्रह और उसका मित्र शनि ग्रह जब चन्द्रमा को कंलकित करते हैं तो चन्द्रमा के अपयश का साक्ष्य व्यक्ति की जन्म कुंडली में छोड़ जाते हैं और उस योग में पैदा होने वाला व्यक्ति जीवन भर कमजोर चन्द्रमा के लिए जप तप कराते हैं।
लोग मोती धारण करते हैं और जो भी उपासना हो उसे करते हैं, नहीं तो व्यक्ति दमा रोग से पैदा होते ही परेशान हो जाता है और फेंफड़े कमजोर हो जाते हैं। क्षय रोग परेशान कर सकता है, जल घात करा देता है। दूध व चांदी के व्यापार व साझेदारी को डूबो देता है। उत्तर दिशा में वास्तु दोष स्वत: ही हर आवास में दे देता है। किसी अपराध में दोषी बना यश को कंलकित कर देता है।
ऐसे ग्रहण लगे चन्द्रमा को व्यक्ति झेल कर शक्ति की शरण में जाता है। जैसे श्री कृष्ण को समयनतक मणि चुराने का दाग़ साफ़ करनें के लिए गुफा में जाकर जामवनत से लडना पडा, बदले में मणि व उसकी पुत्री जामवनती से विवाह करना पडा तथा देवकी और वासुदेव को अम्बा यज्ञ करवाना पडा।
संत जन कहते हैं कि हे मानव जो लोकाचार में कंलकित हो चुका है उसे सफ़ेद कपड़े और हीरे का ताज पहना दिया तो भी वह शुद्ध नहीं हो सकता। ऐसा करने से वह गुनाहों का बादशाह बन जाएगा। इसलिए हे मानव तू परमात्मा की शरण ले और जन कल्याण में लगकर जीवों की दुआएं ले, कभी भी तू काले कलंक की ओर नहीं बढ़ सकता है, तू काले कपड़े पहन ले तो भी पूजा जाएगा।
सौजन्य : भंवरलाल