नई दिल्ली। देश में उभयलिंगी व्यक्तियों के अधिकारों के प्रति असाधारण संवदेना व्यक्त करते हुए राज्यसभा ने उनके अधिकारों के संबंध में रखे गए एक निजी विधेयक को शुक्रवार को ध्वनिमत से पारित कर दिया।
आमतौर पर संसद में निजी विधेयक पारित नही होते हैं और विधायी कार्य केवल सरकार की ओर से होता है। काफी समय बाद संसद के किसी सदन में निजी विधेक पारित हुआ है।
अन्नाद्रमुक के तिरुची शिवा द्वारा किन्नरों के अधिकारों के संबंध में रखे गए निजी विधेयक पर चर्चा के दौरान सभी सदस्यों ने इसकी भावना का सम्मान किया।
सरकार की ओर से कहा गया कि वह किन्नरो के अधिकार सुनिश्चित करने के लिए वचनबद्ध है हालांकि वित्त मंती अरुण जेटली ने शिवा से आग्रह किया कि वह अपने निजी विधेयक को वापिस ले लें और सरकार को इस संबंध में कार्यवाही करने का अवसर दें।
सरकार के आग्रह के बावजूद शिवा ने अपना विधेयक वापिस नही लिया और मतविभाजन की बात सामने आई। सदन में सत्ता पक्ष का बहुमत न होने के कारण बाद में विधयक को ध्वनिमत से स्वीकार कर लिया गया।
विधेयक में प्रावधान है कि किनरों के अधिकरों के लिए एक राष्ट्रीय निति बनाई जाये और उस पर कारगर तरीके से अमल हो ।