नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी की किसान रैली में राजस्थान के कृषक गजेन्द्र ङ्क्षसह के खुले आम आत्महत्या कर लेने के बाद चौतरफा आलोचनाओं से घिरी आप के नेताओं के तेवर अब ढीले पडऩे लगे हैं।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस घटना के बाद अपना भाषण जारी रखने के लिए शुक्रवार को सार्वजिनक रूप से माफी मांगी वही दूसरी तरफ दिल्ली के संयोजक आशुतोष फूट-फूट कर रोये।
बुधवार को नरेन्द्र मोदी सरकार के भूमि अधिग्रहण विधेयक के खिलाफ जंतर मंतर पर आयोजित आप की किसान रैली में राजस्थान के दौसा जिले के नांगल झामरवाडा गांव से आए 41 वर्षीय गजेन्द्र ने नीम के एक पेड़ पर फांसी लगा ली थी।
इसके बावजूद केजरीवाल, उप मुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया, आप के वरिष्ठ नेता कुमार विश्वास और संजय सिंह ने भाषण दिए। रैली खत्म करने के बाद ही केजरीवाल और सिसौदिया किसान को देखने अस्पताल गए।
विभिन्न राजनीतिक दलों ने रैली के दौरान ही किसान के फांसी लगा लेने के बावजूद आप नेताओं के भाषणबाजी जारी रखने को लेकर कड़ी आलोचना की थी।
केजरीवाल ने एक टेलीविजन चैनल के साथ बातचीत में कहा कि गजेन्द्र के आत्महत्या करने की घटना के बावजूद अपना भाषण जारी रखना गलत था और इसके लिए मैं माफी मांगता हूं।
आप की दिल्ली इकाई के संयोजक आशुतोष जिन्होंने बुधवार को इस घटना के बाद कड़े तेवर अपना रखे थे, शुक्रवार को एक टेलीविजन चैनल पर मृतक की बेटी मेघा के साथ बातचीत में फफक-फफक कर रोये और कहा कि मैं और मेरी पार्टी गुनाहगार है।
उन्होंने भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस से अपील की कि वह इस मामले में राजनीति नहीं करें। गजेन्द्र की बेटी मेघा कहा कि मेरे पिता खुदकुशी नहीं कर सकते थे। उसने न्याय की गुहार लगाते हुए कहा कि जिसने भी मेरे पिता को खुदकुशी के लिए उकसाया है उसे सजा मिलनी चाहिए।
आशुतोष ने कहा कि गजेन्द्र की मौत को लेकर हमारी पार्टी और हम पर साजिश के आरोप लगाए गए। हम गंदी राजनीति करने नहीं आए हैं। उन्होंने राजनीतिक दलों से अपील की कि गजेन्द्र की मौत पर सियासत न की जाए क्योंकि ऐसी राजनीति से कुछ भी हासिल होने वाला नहीं है।
गौरतलब है कि घटना के बाद आशुतोष ने संवाददाता सम्मेलन में कहा था ‘यह अरङ्क्षवद जी की गलती है कि वह फौरन मंच से नहीं उतरे और पेड़ पर नहीं चढ़े। अगली बार अगर ऐसा होता है तो मैं मुख्यमंत्री जी से कहूंगा कि वह पेड़ खुद चढ़े और उस आदमी को आत्महत्या करने से रोके।’
इस घटना के बाद सोशल मीडिया पर केजरीवाल को लेकर भी तमाम तंज कसे गए थे। लोगों ने सोशल मीडिया पर लिखा था कि जो आदमी चुनावी फायदे के लिए बिजली के खंभे पर चढ़कर विद्युत तारे जोड़ सकता है वह किसी की जान बचाने के लिए पेड़ पर क्यों नहीं चढ़ा।
मुख्यमंत्री ने अपनी गलती स्वीकार करते हुए कहा कि किसान की आत्महत्या की घटना के बाद उन्हें रैली को रोक देना चाहिए था। यह घटना काफी विचलित करने वाली थी। उन्होंने कहा कि मेरी आंखों के सामने ऐसी घटना घटी। मैं रात भर सो नहीं सका। इसके पहले मैंने इस तरह की घटना का सामना नहीं किया था।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस घटना के लिए किसी को जिम्मेदार ठहराना उचित नहीं है। पुलिस को भी इसके लिए दोषी नहीं माना जाना चाहिए। इस मुद्दे का राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए और देश की जनता को किसानों की समस्याओं के समाधान के बारे में सोचने का प्रयास करना चाहिए।