नई दिल्ली । नेपाल में आए भूकंप से नेपाल ही नहीं बल्कि पूरा उत्तर भारत हिल गया है। नेपाल में करीब 81 वर्ष बाद ऐसा भूकंप आया है। यहां 1934 में सबसे ताकतवर भूकंप आया था। उसकी रिक्टर स्केल पर तीव्रता 8.4 थी।
इसी फॉल्ट लाइन के कारण शिलॉन्ग में भी 1897 में 8.5 तीव्रता वाला भूकंप आ चुका है। यह फॉल्ट लाइन उत्तराखंड से आगे दिल्ली तक जाती है। यही वजह है कि नेपाल में भूकंप का केंद्र होने के बाद भी दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और पूर्वोत्तर भारत में भी झटके महसूस किए गए।
भूकंप का केंद्र रहा काठमांडू में इसकी तीव्रता रिक्टर स्केल पर 7.9 मापी गई है। लोगों ने राहत की सांस ली ही थी कि आधे घंटे में दूसरी बार फिर से पंद्रह सेकंड तक धरती कांप उठी। वहीं मौसम विभाग के अधिकारियों का कहना है कि भूकंप के झटके फिर से आ सकते हैं।
शक्तिशाली भूंकप के बाद दिल्ली और कोलकाता में मेट्रो की सेवा थोड़ी देर के लिए रोक दी गई है। भूकंप के झटके आते ही लोग दिल्ली एनसीआर में अपने ऑफिसों घरों से बाहर निकल आए। भूकंप से पूरा उत्तर भारत हिल उठा।
झटके पेशावर से लेकर मणिपुर तक महसूस किए गए। ये झटके लगभग दो मिनट तक झटके महसूस किए गए। नेपाल में राजधानी काठमांडू से 35 किमी दूर पश्चिम में जमीन के लगभग 33 किमी. नीचे इसका केंद्र था। काठमांडू में इमारतें और कई मकान गिरे हैं।