सिरोही। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विचारक डाॅ राकेश सिन्हा ने कहा कि हिन्दुत्व एक संस्कार और परम्परा है, इसे किसी धर्म विशेष से जोडना उचित नहीं है।
सिरोही एक आयोजन में भाग लेने आए डाॅ सिन्हा ने मीडिया से शिष्टाचार भेंट के दौरान कहा कि हिन्दुत्व को किसी धर्म विशेष का समर्थक या किसी धर्म का विरोधी मानना गलत है। सिन्हा ने एक सवाल के जवाब में कहा कि धर्मनिरपेक्षता की बात करने वाले को राष्ट्रविरोधी या हिन्दुत्व विरोधी कहने की सोशल मीडिया में चल रही प्रवृति भी उचित नहीं है।
उन्होंने कहा कि हिन्दुत्व को किसी पूजा पद्धति से जोडकर देखने की बजाय इसका व्यापक अर्थ समझना होगा। उन्होंने कहा कि हिन्दुत्व में इस भूभाग में प्रचलित योग, दर्शन, चिकित्सा समेत वो तमाम बातों को देखना चाहिये जिसका अनुकरण आज दुनिया के दूसरे देश कर रहे हैं।
इंडिया नाम के विरोध पर उन्होंने कहा कि यह कोई विवाद का विषय नहीं है, उन्होंने माना कि इंडिया का प्रादुर्भाव इंडस यानि सिंधु सभ्यता से जुडा हुआ है और कई पौराणिक शिलालेख इसका उल्लेख भी करते हैं। वैसे चर्चा के दौरान ही यह बात भी सामने आई कि वर्तमान प्रधानमंत्री मेक इन इंडिया और मेड इन इंडिया का नारा दे रहे हैं जबकि उन्हें मेक इन भारत या मेड इन इंडिया का नारा देना चाहिए, सिन्हा ने कहा कि नाम की बजाय उनका ध्यान उद्देश्य पर है और यह उद्देश्य पवित्र है।
उन्होंने कहा कि औपनिवेशिक प्रवृत्ति राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विरोध का प्रमुख कारण है। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद भी जो मानसिक गुलामी से आजाद नहीं हो पाये उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकलापों का विरोध अपना लक्ष्य बना रखा है। उन्होंने कहा कि जिस तरह से साम्यवादी विचारधारा वालों ने देश के साहित्य के साथ खिलवाड किया है वह भी औपनिवेशिक सोच का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सिद्धांतों तथा हिन्दुत्व को व्यापकता से समझने के लिए सोच को अनऔपनिवेशिक किया जाना आवश्यक है।
कश्मीर के वर्तमान हालातों पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि कश्मीर में भारत विरोधी विचारधारा को फैलाने वाले मात्र मुट्ठीभर लोग हैं, उन्होंने कहा कि यह सोच भी गिलानी के रूप में अब बूढी होती जा रही है और मसर्रत आलम भी उसी सोच का वारिस है, लेकिन उसे वारिस के रूप में प्रोजेक्ट करने का अलगाववादियों का मकसद पूरी तरह से विफल हुआ है।
उन्होंने कहा कि इसकी गवाह रिहाई के बाद मसर्रत की वह सभा है, जिसमें मात्र दो हजार लोग थे, इनमें भी मात्र बीस से पच्चीस लोग पाकिस्तान के समर्थन का नारा लगा रहे थे। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि पाक अधिकृत कश्मीर नाम दिया जाना 1992 की सरकार की देन है, दरअसल इसके माध्यम से यह अंतर्राष्ट्रीय बिरादरी को यह बताया जाना था कि यह हिस्सा भारत का है और पाकिस्तान ने इस पर अतिक्रमण किया है। पाकिस्तान के साथ चीन का इस हिस्से में निवेश किये जाने को भी उन्होंने चिंतनीय बताया।
370 नहीं अरबन सीलिंग एक्ट कर दें
धारा 370 के बारे में उन्होंने कहा कि कुछ लोग इसका विरोध कर रहे हैं, लेकिन हम यह कह रहे हैं कि यदि इसकी बात नहीं करें तो आप कश्मीर में अरबन सीलिंग एक्ट लागू कर दें, जेंडर डिस्क्रिमीनेशन पर काम करें तो अपने आप धारा 370 हटाने का विरोध करने वाले लोग लाजवाब हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि आज भी घाटी की सारी जमीनें चंद गिने चुने सामंती सोच के लोगों के पास है। जब अरबन सीलिंग एक्ट लागू हो जाएगा तो यह जमीने घाटी के दूसरे मुसलमानों के पास चली जाएगी, जिससे वह सम्पन्न होंगे और यही यह जमीदार नहीं चाहते।
संवाद जरूरी
उन्होंने माना कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की विचारधारा बताने के लिये सभी धर्मों के साथ विचारविमर्श और संवाद कायम करने की आवश्यकता है और इस ओर कम काम हुआ है, जिस पर काम किया जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि अन्य धर्मों के लोगों को भी एक कदम आगे आकर भारतीय के रूप में यह चर्चा करनी चाहिए कि हमारी सोच और मकसद क्या है।