नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने गुरुवार को शशि थरूर की पत्नी सुनंदा पुष्कर मौत मामले की जांच अदालत की निगरानी में एसआईटी से कराने की भारतीय जनता पार्टी नेता सुब्रह्ममयन स्वामी की जनहित याचिका खारिज कर दी। उच्च न्यायालय ने इसे राजनीतिक हित याचिका करार देते हुए कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि अदालत का प्रयोग इस तरह किया जा रहा है।
न्यायाधीश एस.मुरलीधर और न्यायाधीश आई.एस मेहता की खंडपीठ ने कहा कि न्यायालय को राजनीतिक हस्तियों को उनके अपने उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए न्यायिक तंत्र का इस्तेमाल नहीं करने देने के लिए सचेत रहना चाहिए।
पीठ ने स्वामी की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि यह जनहित याचिका की आड़ में राजनीतिक हित याचिका का शायद ‘टेक्स्ट बुक’ उदाहरण है। न्यायालय ने कहा कि यह संतोषजनक नहीं है कि इस याचिका का प्रयोग जनहित याचिका के रूप में किया जाए।
न्यायालय ने कहा कि यह समझना काफी मुश्किल है कि एसआईटी की जांच को किसी ने प्रभावित करने की कोशिश की है। न्यायालय यह आशा करता है कि एसआईटी जांच को इसके तार्किक निष्कर्ष तक पहुंचाएगा।
सुनवाई के दौरान न्यायालय ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल संजय जैन से पूछा कि क्या वह इन आरोपों को स्वीकार करते हैं कि दिवंगत पुष्कर के पति ने मामले को उलझाने और प्रभावित करने के लिए सरकार को प्रभावित करने के प्रयास किए हैं।
जैन ने इन आरोपों से साफ इंकार करते हुए कहा कि वह इन आरोपों को स्वीकार नहीं करते हैं और दिल्ली पुलिस के प्रभावित होने या सबूत को मिटाने का कोई सवाल ही नहीं है।
स्वामी ने अपनी याचिका में कहा कि जांच को समाप्त कराने के लिए लगातार प्रयास किए गए और आरोप लगाया कि एफआईआर लगभग एक वर्ष पहले दर्ज किया गया था और उसके बाद कुछ नहीं हुआ।
याचिका में आरोप लगाया गया है कि इस मामले में काफी प्रभावशाली लोग संलिप्त हैं और उन्हें बचाने का प्रयास किया जा रहा है तथा इस मामले में पहले ही अनावश्यक देरी हो चुकी है।
न्यायालय ने स्वामी से पूछा कि आपकी याचिका में कौन सा भाग आपके निजी ज्ञान पर आधारित है और कौन सा भाग आपके विश्वास पर आधारित है? पीठ ने कहा कि स्वामी इस तरह के अतिरंजित आरोप नहीं लगा सकते।
न्यायालय ने कहा कि आपने अपने शपथ पत्र में कहा कि आपने किसी सूचना को गुप्त नहीं रखा है। आज जब हम आपसे आपके आरोपों के आधार को बताने के लिए कह रहे हैं, तो आप कह रहे हैं कि आप इस संबंध में अन्य शपथपत्र दाखिल करेंगे। इसका मतलब है कि आपने सूचना छुपाई है।
स्वामी ने कहा कि यह मेरी पहली जनहित याचिका नहीं है। मुझे पता है कि न्यायालय कैसे काम करता है। ऐसा पहली बार है कि मुझसे इस तरह के प्रश्न किए गए हैं। मैं कानून मंत्री रह चुका हूं। आप मुझ पर सबूत छुपाने के समतुल्य आरोप लगा रहे हैं।