सबगुरु न्यूज। उसकी हर एक नेकियों का एकमात्र गवाह केवल परमात्मा ही होता था। हर काली आधी रात में वह बैचैन होकर अपने राज्य के प्रमुख स्थानों में जाकर जमीनी हकीकत को पूरी तरह से जांचता परखता और फिर उसका निदान करने के लिए कठोर तथा उचित क़दम उठाता था। इतना करने के बाद भी वह अपने आप को प्रकट नहीं करता था।
धार्मिक आर्थिक राजनीतिक तथा सामरिक इन संस्थाओं पर वह पैनी नजर रखता था। खाद्य सुरक्षा चिकित्सा यातायात और व्यापार आदि सब व्यवस्थाओं पर सदा अप्रत्यक्ष रूप से नकैल डाले रखता।
सारी व्यवस्थाएं सुचारु रूप से चलती रहे, जाने व अनजाने में भी उसके राज्य मे प्रजा को कोई असुविधा न हो, उसके लिए सलाहकार व मंत्री परिषद से नियमित संपर्क और नियंत्रण रखता था एवं आपदा के समय स्वयं हर क्षेत्र का जायजा लेकर हाथोंहाथ मदद करके स्थिति को सामान्य कर देता था।
रात के अंधियारों में हर क्षेत्र की परख करता और दूसरे दिन ही हर समस्या का प्रभावशाली निदान करके ही चैन लेता था। एक बार उसके राज्य में भीषण अकाल पडा। उसकी बनाईं हुई व्यवस्था चरमरा गई। उसने स्वयं दौलत के खजाने खोल दिए और सर्वत्र अपने मंत्रियों व सलाहकारों को हर क्षेत्र में हर आवश्यक वितरण के लगा दिया। कहीं से भी असंतोष की आवाज नजर नहीं आई। इससे वह भी संतुष्ट था।
एक रात गांव के बाहर वाले मकान में एक दृश्य देख वह हैरान हो गया। उस मकान के बाहर एक पेड़ था। एक युवक कुछ सामग्री लाया और उस पेड़ की डाली के पास बांधकर चला गया।
उसके बाद कमरे से एक महिला निकलीं तथा उस पेड़ की डाली पर बंधे सामान को लेकर घर में आ गई तथा अपने बच्चों को आवाज देने लगी। आओ भोजन आ चुका है और सब मिलकर उस मसीहा को दुआएं देने लगे। वे राजा को बुरा कह कर गालियां बकने लगे।
राजा यह सब सुनकर उसके सामने आ गए और सारी स्थिति की जानकारी ली। महिला को यह मालूम नहीं था कि ये राजा है। वह बैबाक बोलने लगी कि हे युवक, हमारा राजा और उसके मंत्री प्रजा के मसीहा बनते हैं लेकिन हकीकत में कुछ भी नही करते।
ये युवक नहीं होता तो हम सब परिवार समेत कभी के मर जाते। मेरा पति ऋषि है और वह कई वर्षो से बाहर है। मैं और बच्चे तथा हजारों लोग भूखे प्यासे भटकते रहे लेकिन राजा ने किसी की भी मदद नहीं की। यह सुनकर राजा चला गया।
सारी जानकारी करने के बाद उसे मालूम पडा कि सलाहकार मंत्री व गुप्तचर सभी हर संस्थाओं और क्षेत्रों के व्यापार से जुड़े हैं तथा सर्वत्र अच्छे राजा व अच्छी व्यवस्था के गुणगानों का झूठा प्रचार प्रसार कर रहे हैं तथा प्रजा को दबिश देकर चुप कर रहे हैं।
हताश राजा ने उस युवक को ढूंढ निकाला जो हर रात रोटियां पेड़ पर बांध जाता था। उसे राजा घोषित कर दिया और खुद संन्यास की ओर निकल पडा। संत जन कहते हैं कि हे मानव नेकी आप अकेले में भी करोगे तो उसका गवाह ईश्वर तुम्हे सर्वत्र सफल करेगा।
सौजन्य : भंवरलाल