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छत्तीसगढ़ : 15,000 महिलाओं ने एक साथ सुआ नृत्य कर विश्व रिकॉर्ड बनाया - Sabguru News
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छत्तीसगढ़ : 15,000 महिलाओं ने एक साथ सुआ नृत्य कर विश्व रिकॉर्ड बनाया

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छत्तीसगढ़ : 15,000 महिलाओं ने एक साथ सुआ नृत्य कर विश्व रिकॉर्ड बनाया
Golden Book of World Records of Chhattisgarh Suva Dance made in durg
Golden Book of World Records of Chhattisgarh Suva Dance made in durg
Golden Book of World Records of Chhattisgarh Suva Dance made in durg

रायपुर/दुर्ग। छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले की महिलाओं ने एक नया कीर्तिमान रचा है। जिले की 15000 महिलाओं ने एक साथ सुआ नृत्य करने का रिकॉर्ड बनाया। सुआ नृत्य छत्तीसगढ़ की संस्कृति में अहम स्थान रखता है।

भिलाई के जयंती स्टेडियम में रविवार को हुए इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह भी मौजूद थे। भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय महामंत्री सरोज पांडेय भी पारंपरिक परिधान में सुआ नृत्य किया। उनके साथ अतरराष्ट्रीय कलाकार तीजन बाई भी मौजूद थीं।

कार्यक्रम में मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा कि दुर्ग अपनी हजारों साल की परंपरा को जीवित रखने का कार्य किया है। दोपहर 12 बजे से शाम 5 बजे तक लगातार 15 हजार बहनों ने सुआ नृत्य किया। सुआ नृत्य हमारी परंपरा है।

धान के टोकरे में सुआ (मिठ्ठू) को रखा जाता है। भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती की पूजा की जाती है। शिव विवाह का आयोजन किया जाता है। मुख्यमंत्री ने महिलाओं की मांग पर स्टेडियम निर्माण की घोषणा भी की।

छत्तीसगढ़ की गौरवशाली परंपरा व लोक नृत्य को बढ़ावा देने के लिए सामूहिक सुआ नृत्य का आयोजन किया गया। यह नृत्य प्रदेश की कला-संस्कृति, प्रकृति वर्णन, प्रेम के साथ ही देव वर्णन को रेखांकित करता है। यह नृत्य समूह में किया जाने वाला नृत्य है, जो एकजुटता का परिचय देने के साथ ही एक राग व ताल में मांदर व झांझ की थाप में किया जाता है।

नृत्य करते समय प्रकृति की सुंदरता का बखान करने के साथ ही देवी-देवताओं की गाथा का वर्णन किया जाता है। सुआ नृत्य सामाजिक समरसता का एक अनुपम उदाहरण है, जो बिना किसी जाति, समुदाय के बंधन के साथ सहजतापूर्वक स्नेह के साथ किया जाता है।

प्रदेश के इस गौरवशाली नृत्य को विश्व स्तर पर पहचान देने के उद्देश्य से प्रदेश में पहली बार पूर्व सांसद सरोज पांडेय के नेतृत्व में प्रदेश स्तरीय सुआ नृत्य का आयोजन हुआ। प्रदेश के विभिन्न अंचलों की महिलाएं कार्यक्रम में शामिल हुइें। शहरी महिलाओं के साथ-साथ ग्रामीण महिलाएं भी भागीदार बनीं।