कोलकाता। पश्चिम बंगाल की सत्तारूढ तृणमूल कांग्रेस कोलकाता नगर निगम में भारी जीत के साथ महानगर में अपना वर्चस्व कायम रखने में कामयाब रही है। पार्टी को केएमसी की 144 में से 114 सीटों पर सफलता मिली जो 2010 के चुनाव की तुलना में काफी अधिक है।
2010 में तृणमूल को केएमसी की 15 सीटें मिली थी। इस तरह पार्टी ने पिछली बार से भी बडी जीत हासिल कर विपक्ष की उम्मीदों पर पानी फेर दिया। मुख्य विपक्षी वाम मोर्चा को महज 15 वार्डोँ में कामयाबी मिल सकी।
गत चुनाव में वामो को 33 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। यानि वाम मोर्चा को इस बार 18 सीटों का नुकसान उठाना पडा। इसी तरह कांग्रेस को भी दो सीटों का नुकसान हुआ। पार्टी ने 2010 के चुनाव में सात वार्डों पर कब्जा किया था लेकिन इस बार उसे पांच में ही सफलता मिल सकी।
केएमसी चुनाव में बडी कामयाबी हासिल करने की आस लगाये बैठी भारतीय जनता पार्टी की उम्मीदों पर पानी भी फिर गया। हालांकि उसे 2010 के चुनाव की तुलना में काफी फायदा हुआ। भाजपा ने इस बार केएमसी की सात सीटों पर जीत हासिल की। पिछले चुनाव में उसे महज दो सीटें मिली थी।
अन्य के खाते में तीन सीटें गई। इस चुनाव में कई हैवीवेट उम्मीदवारों को पराजय का सामना करना पडा। इनमे केएमसी में विपक्ष का नेतृत्व करने वाली रूपा बागची, माकपा नेता सुधांशु शील, कोलकाता की उपमेयर फरजाना आलम, तृणमूल के पूर्व विधायक दिनेश बजाज, परेश पाल, सच्चिदानंद बनर्जी का नाम शामिल है।
प्रमुख विजयी उम्मीदवारों में कोलकाता के मेयर शोभन चटर्जी, तृणमूल के अतिन घोष, विजय उपाध्याय, माला राय कांग्रेस के प्रकाश उपाध्याय, भाजपा की मीना देवी पुरोहित उल्लेखनीय हैं।
उल्लेखनीय है कि कोलकाता नगर निगम के लिये विगत 18 अप्रैल को मतदान कराया गया था। सत्तारूढ पार्टी पर मतदान के दौरान बडे पैमाने पर मतदान में धांधली करने के आरोप लगे थे।