काठमांडु। नेपाल के प्रधानमंत्री सुशील कोइराला ने मंगलवार को आशंका जताई है कि भूकंप में मरने वालों की संख्या दस हजार तक पहुंच सकती है। ऐसी स्थिति में घरेलू और विदेशी मदद से राहत एवं बचाव कार्यों में और तेजी लाने की जरूरत है।
कोइराला ने एक समाचार एजेंसी को दिए साक्षात्कार में कहा कि यह देश के लिए चुनौतीपूर्ण एवं बेहद कठिन घड़ी है। सरकार राहत एवं बचाव कार्यों के लिए हर संभव प्रयास कर रही है।
उन्होंने दुनिया के देशों से अपील की कि प्राकृतिक आपदा से बुरी तरह प्रभावित नेपाल को और अधिक तंबुओं और दवाइयों की आवश्यकता है।
इसी बीच प्रधानमंत्री ने एक सर्वदलीय बैठक में स्वीकार किया कि राहत एवं बचाव कार्य कोई खास प्रभावी साबित नहीं हो पा रहे हैं।
उन्होंने संविधान सभा के अध्यक्ष एस नेमबांग द्वारा आयोजित इस बैठक में राजनीतिक दलों से राष्ट्रीय आपदा की इस घड़ी में एक साथ कदम से कदम मिलाकर काम करने की अपील की।
उन्होंने कहा कि देश को बाहर से अच्छी मदद मिल रही है लेकिन विशेषज्ञों की कमी के कारण प्रभावितों को ठीक तरीके से सहायता नहीं पहुंच पा रही है।
कोइराला ने कहा कि सरकार लोगों तक राहत पहुंचाने और उनके पुनर्वास को लेकर बेहद संवेदनशील है।
उन्होंने लोगों से रक्त दान करने की अपील करते हुए कहा कि सरकार बडी संख्या में प्रभावितों को टेंट, दवाइयां, भोजन और पेयजल उपलब्ध कराने के साथ -साथ स्वयं सेवक दलों को भी राहत कार्यों के लिए भेज रही है।
वहीं, सरकारी आंकडों के अनुसार, नेपाल में भूकंप से अबतक करीब 4352 लोग मारे जा चुके हैं और आठ हजार से अधिक घायल हुए हैं। मलबों से शवों को निकालने का काम अभी भी जारी है ऐसे में मृतकों की संख्या में इजाफा होने की आशंका है।
जंमीदोंज हुए मकानों और भवनों में जिंदा फंसे लोगों को बचाने का काम युद्ध स्तर पर चल रहा है। प्रधानमंत्री ने राहत और बचाव अभियान में तेजी लाने का आदेश दिया है।