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सिस्टर रानी मारिया 'धन्य शहीद' घोषित - Sabguru News
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सिस्टर रानी मारिया ‘धन्य शहीद’ घोषित

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सिस्टर रानी मारिया ‘धन्य शहीद’ घोषित
Murdered nun beatified in India; Sister Rani Maria a martyr for social justice
Murdered nun beatified in India; Sister Rani Maria a martyr for social justice
Murdered nun beatified in India; Sister Rani Maria a martyr for social justice

इंदौर। मध्य प्रदेश में इंदौर के कैथोलिक समाज में शनिवार को खुशी और उत्साह का ज्वार आया हुआ है। गरीबों के लिए काम करते हुए एक जुल्मी के हाथों जान गंवा चुकीं दिवंगत सिस्टर रानी मारिया को ‘धन्य शहीद’ घोषित कर दिया गया है। इस मौके पर देश के चार प्रमुख कर्डिनल के साथ वेटिकन से पोप फ्रांसिस के प्रतिनिधि भी मौजूद रहे।

इंदौर के बिशप चाको थोटूमारिकल ने शनिवार को कहा कि इंदौर के सेंट पॉल स्कूल मैदान में आयोजित समारोह में रानी मारिया को ‘धन्य शहीद’ घोषित किया गया। समारोह में भारत के चार मुख्य कर्डिनल सिरो मलान्कारा के कर्डिनल बसेलियोस क्लिमीस, सिरो मलाबार कर्डिनल जॉर्ज आलंचेरी, मुंबई के कर्डिनल असवाल ग्रेशियस और रांची के कर्डिनल तेलेसफोर टोप्पो मौजूद रहे। सीबीसीआई के अध्यक्ष कर्डिनल क्लीमिस और कई बिशप, बड़ी संख्या में फादर एवं सिस्टर्स मौजूद रहे।

समारोह स्थल पर मौजूद कैथोलिक समाज के एक प्रतिनिधि के अनुसार सुबह 10 बजे सेंट पॉल स्कूल का मैदान धर्मस्थल मे तब्दील हो गया। यहां वेटिकन से आए पोप के प्रतिनिधि ने रानी मारिया को ‘धन्य शहीद’ का दर्जा दिए जाने के लिए पोप द्वारा लैटिन भाषा में जारी किए गए एक पत्र को पढ़ा। उसी पत्र का अंग्रेजी और फिर हिंदी में अनुवाद किया गया। इसके साथ ही रानी मारिया को ‘धन्य शहीद’ का दर्जा मिल गया। इस मौके पर सामूहिक मिसरा भी हुआ।

थोटूमारिकल के मुताबिक कैथोलिक चर्च में किसी व्यक्ति को संत घोषित करने के चार चरण होते हैं। पहले चरण में मृत्यु के बाद पांच साल का इंतजार करना अनिवार्य है। दूसरे चरण में ईश सेवक या सेविका की घोषणा होती है। तीसरे चरण में धन्य की उपाधि दी जाती है और चौथे चरण में संत की उपाधि देने का प्रावधान है।

कैथोलिक परंपरा के अनुसार धन्य उस व्यक्ति को घोषित किया जाता है, जो समाज के लिए काम करते हुए शरीर त्याग दे। साथ ही वह कोई ऐसा चमत्कार दिखाए, जो उसके समाधि स्थल पर प्रार्थना करने वाले को महसूस हो। रानी मारिया समाज के लिए काम करते मारी गईं। लिहाजा उन्हें ‘धन्य शहीद’ का दर्जा दिया गया है। अगर आगे मारिया कोई चमत्कार दिखाती हैं, तभी उन्हें संत का दर्जा मिल सकेगा।

सिस्टर रानी मारिया का जन्म केरल के गांव पुल्लूवजी के एक किसान परिवार में 29 जनवरी, 1954 को हुआ था। वह वत्तालिल परिवार के पाईली-एलिशा की दूसरी सन्तान थीं। बचपन से ही उन्हें गरीबों के प्रति प्रेम था और यही चाह उन्हें मध्य भारत में खींच लाई।

उनसे जुड़े लोग बताते हैं कि सिस्टर रानी मारिया ने 1972 में केरल के फ्रांसिसकन संस्था में पहली बार दाखिला लिया और एक मई, 1974 को व्रत धारण कर नया नाम सिस्टर रानी मारिया स्वीकार किया। उन्होंने 1975 में उत्तर प्रदेश के बिजनौर में अपना मिशन कार्य शुरू किया और 1992 में देवास जिले के उदयनगर में उनकी नियुक्ति हुई, जहां वह गरीब, भूमिहीन कृषि मजदूरों के बीच उनके अधिकारों के लिए लड़ती रहीं। इससे जमींदारों का एक समूह नाराज था।

अब से कोई 22 वर्ष पहले मारिया को 25 फरवरी, 1995 को देवास जिले के उदयनगर से भोपाल पहुंचना था। वह भोपाल से होकर केरल जाने वाली थीं। उनकी बस में तकरीबन 50 यात्री बैठे हुए थे। वह आगे की सीट पर थीं। समुंदर सिंह नामक व्यक्ति भी अपने साथियों के साथ बस के दरवाजे पर खड़ा था। कुछ दूरी तय करने के बाद समुंदर सिंह ने सिस्टर से छेड़छाड़ शुरू किया और फिर चाकू से वार किया। उसने सिस्टर रानी मारिया पर 54 बार चाकू से वार किया। उन्होंने ‘येसु येसु’ कहते हुए अपने प्राण त्याग दिए।

बाद में पता चला कि उनकी हत्या का मूल कारण आदिवासियों की मदद और जमींदारों के शोषण के खिलाफ उन्हें जागरूक बनाने से जुड़ा था। जमींदार नहीं चाहते थे कि गरीब उनकी बराबरी करें, इसलिए एक-दो बार सिस्टर रानी मारिया को जान से मारने की धमकियां भी दी गई थीं। लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी, और गरीबों के खातिर अपना जीवन कुर्बान कर दिया।

आरोपी समुंदर सिंह को न्यायालय ने 20 साल की सजा सुनाई। सिस्टर रानी मरिया के माता-पिता और प्रियजनों ने हत्यारे को माफ कर दिया और फिर न्यायालय से भी अपील की कि उसकी सजा कम कर दी जाए। सिस्टर रानी मारिया की मां ने हत्यारे के हाथों को चूम कर कहा था कि इन हाथों पर मेरी बेटी का खून लगा है। मैं येसु के पवित्र नाम पर तुम्हें क्षमा करती हूं।

उनकी छोटी बहन सिस्टर सेल्मी पल ने 2002 में जेल जाकर समुंदर सिंह के हाथों में राखी बांधी थी। इस काम में दिवंगत स्वामी सदानंद की अहम भूमिका रही। उसके बाद से आज तक सेल्मी पल हर रक्षाबंधन पर समुंदर सिंह को राखी बांधती हैं। समुंदर सिंह आज कई प्रकार के भले कार्यो में लगा है और सिस्टर रानी मारिया की हत्या पर खेद जताता है।

सिस्टर रानी मारिया के पार्थिव शरीर को उदयनगर के गिरजाघर के बाहर दफनाया गया था, लेकिन अब उनकी कब्र को दोबारा खोदा गया और अभी उनके अवशेष को चर्च के अंदर एक नवनिर्मित समाधि में रखा गया है। वह स्थान लोगों के लिए तीर्थस्थल बन गया है।

इंदौर के बिशप चाको थोटूमारिकल ने कहा कि सैकड़ों लोग सिस्टर रानी मरिया की कब्र पर आते हैं और ईश्वरीय कृपा की मांग करते हैं। अन्य धर्मो के लोगों ने भी उन्हें एक संत के रूप में स्वीकार किया है।